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हालांकि सरिस्का नेशनल पार्क में ऑनलाइन सफारी बुकिंग अभी कम हुई, लेकिन ऑफलाइन बुकिंग में सैलानियों की संख्या बढ़ रही है। वन अधिकारियों का कहना है कि अमूमन दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह से ऐसा देखा जाता है, लेकिन इस बार अभी से बुकिंग फुल हो गई। लोग वन विभाग के अधिकारियों को फोन कर बुकिंग की गुहार लगा रहे हैं।
यहां भी भारी संख्या में आ रहे सैलानी
जंगल घूमने और बाघ-बघेरा सहित अन्य वन्यजीवों की अठखेलियां देखने को सैलानी बेकरार नजर आ रहे हैं। हाथीगांव, नाहरगढ़ जैविक उद्यान, माचिया जैविक उद्यान, सज्जनगढ़ जैविक उद्यान, जयपुर चिडि़याघर समेत अन्य वन अभयारण्य में भी सैलानी खूब आ रहे हैं। जिससे विभाग की चांदी हो रही है। दूसरी ओर इससे पर्यटन क्षेत्र को भी पंख लग रहे हैं। पूछताछ में पता चला कि रणथम्भौर में नए साल को लेकर होटल, रिसोर्ट में अभी से किराया बढ़ गया है। छोटे होटल, रिसोर्ट में किराया दोगुना तक वसूला जा रहा है।
ये हाल
रणथम्भौर नेशनल पार्क
यहां रोजाना 140 वाहनों से सफारी करवाई जा रही है। जिसमें 100 जिप्सी व 30 से 40 कैंटर जा रहे हैं। ऑनलाइन बुकिंग की बात करे तो जून 2024 तक जिप्सी की बुकिंग फुल है। हालांकि कैंटर से सैलानी भेजे जा रहे है पर उनकी भी ऑनलाइन बुकिंग बंद है। ऑफलाइन बुकिंग से ही सफारी करवाई जा रही है।
झालाना जंगल
जंगल में दोनों पारी में 12-12 गाडि़यों से सफारी करवाई जा रही है। ऑनलाइन बुकिंग एक जनवरी तक फुल है। ऑफलाइन बुकिंग में महज दो ही गाडि़यों की बुकिंग होती है। उनमें भी मारामारी रहती है। इधर, आमागढ़ में वीकेंड पर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों पारी में सफारी बुक है, लेकिन अन्य दिनों में थोड़ी राहत मिल रही है। जो लोग झालाना से वंचित रह जाते हैं, उनके लिए यह विकल्प साबित हो रहा है।
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सरिस्का टाइगर रिजर्व
यहां बाघ-बाघिन को देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। नए साल को लेेकर ऑनलाइन बुकिंग शुरू हो गई। इन दिनों यहां पर दोनों पारी में 20-20 जिप्सी व 14 से 15 कैंटर भेजे जा रहे हैं जबकि तीन गुना तक सैलानी बढ़ गए हैं।