पंचक में प्राय: शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। कई अन्य सामान्य कार्य भी हैं जो पंचक में प्रतिबंधित किए गए हैं। इसके अनुसार पंचक के पांच दिनों में लकड़ी खरीदना या एकत्र करना मना है। पंचक में शव जलाने की भी मनाही की गई है। इसके साथ ही इस अवधि में पलंग बनवाना और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना वर्जित किया गया है। सबसे खास बात यह है कि पंचक के दौरान मकान पर छत डलवाने की भी मनाही की गई है।
ग्रंथ मुहूर्त-चिंतामणि में पंचक में वर्जित कार्य का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें एक सूत्र है—
‘अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।’-
अर्थात:- पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि की आशंका बढ जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि अग्नि पंचक के दौरान औजारों की खरीदी, निर्माण या मशीनरी कार्यों को करने से बचना चाहिए। इस अवधि में आग लगने का भय रहता है इसीलिए इन्हें अग्नि पंचक कहा गया है। हालांकि अग्नि पंचक के दौरान कुछ विवादित कामों में सफलता भी मिल सकती है। इस अवधि में कोर्ट-कचहरी आदि के फैसले पक्ष में आ सकते हैं। अग्नि पंचक के दौरान अपने अधिकार प्राप्त करने वाले काम भी किए जा सकते हैं।