जयपुर

JLF 2025: हमारा मकसद ‘कंट्रोवर्सी’ पैदा करना नहीं, संजॉय के. रॉय ने खोली यादों की गठरी

डिग्गी पैलेस के एक छोटे से सभागार में महज 210 कुर्सियों, 700 किताबों और एक टेबल से शुरू हुई जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की यात्रा अब नए सोपान की ओर है।

जयपुरJan 30, 2025 / 07:57 pm

Santosh Trivedi

संजॉय के. रॉय
इमरान शेख़
17 साल पहले पिंकसिटी में रोपा गया साहित्यिक रूपी पौधा ‘जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल’ अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है। डिग्गी पैलेस के आंगन में 2006 में इस पौधे की नींव रखी गई। समय के साथ इसकी जड़ को सींचकर जयपुरवासियों के साथ ही देश-दुनिया के नामचीन लेखक, पत्रकार, विचारक और कलाकारों ने इसे इतना फलता-फूलता बना दिया कि कब 17 साल गुजर गए पता ही नहीं चला।
डिग्गी पैलेस के एक छोटे से सभागार में महज 210 कुर्सियों, 700 किताबों और एक टेबल से शुरू हुई फेस्टिवल की यात्रा अब नए सोपान की ओर है।

यह कहना है, टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक, संजॉय के. रॉय का। फेस्टिवल की तैयारियों का जायजा ले रहे संजॉय ने बुधवार को पत्रिका के साथ जेएलएफ की बात छेड़ी तो फिर खुद-ब-खुद यादों की गठरी खुलती गई।
उन्होंने 18वें फेस्टिवल को लेकर कहा, हमारा मकसद किसी भी तरह की ‘कंट्रोवर्सी’ को जन्म देना नहीं बल्कि ‘साहित्य’ को मंच देना है। विवादों के बावजूद हमारे शुरुआती सालों में उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन हमने और हमारी टीम ने कभी हार नहीं मानी।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल को साहित्य की दुनिया में शीर्ष पर पहुंचाने वालों में लेखिका नमिता गोखले के साथ ही लेखक विलियम डेलरिम्पल भी शामिल हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इसमें सबसे बड़ा रोल जयपुराइट्स का है। जिनकी वजह से आज यह फेस्टिवल दुनिया भर की पहचान बन गया।

फिलहाल तो पाकिस्तानी कलाकार नहीं बुला सकते

शुरुआत सालों में पाकिस्तानी लेखकों और कलाकारों ने अपनी परफोर्मेंस से फेस्टिवल को गुलजार जरूर किया है, लेकिन फिलहाल तो पाकिस्तानी कलाकारों को बुला पाना प्रो​सिंबल नहीं है।
क्योंकि सरकार की ओर से पॉॅलिसी के खिलाफ कुछ भी नहीं किया जा सकता। लेकिन इतना जरूर है कि दोनों देशों के बीच संवाद होना जरूरी है और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल यह मौका सभी देशों को देता है। हम भी चाहते है कि भारत-पाक के बीच बातचीत शुरू हो। हमारी यह कोशिश जारी रहेगी।

विवादों के बावजूद फेस्टिवल ने रचे नए अध्याय


संजॉय ने बताया, शुरुआती सीजन में लेखक सलमान रुश्दी का हमारे साथ होना, एक पैनल में आशीष नंदी की टिप्पणियां और लेखिका तसलीमा नसरीन की सहभागिता होना भी इस बात का सबूत है कि तमाम विवादों के बावजूद इन सब से कहीं दूर फेस्टिवल अपनी सार्थकता के नए अध्याय रचता रहा।
डिग्गी पैलेस से होटल क्लार्क्स आमेर में फेस्टिवल का शिफ्ट होना भी कोई संयोग नहीं है बल्कि यह सब जयपुर की जनता की परेशानियों को देखते हुए उठाया गया कदम रहा। हालांकि कुछ लोग इसे ‘कंट्रोवर्सी’ का हिस्सा भी मानते है, लेकिन इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है।

स्टॉल्स पर उपलब्ध होंगी एक लाख बुक्स

jlf 2025

उन्होंने कहा कि जयपुर लिटरेचर फेस्टविल साहित्य के साथ-साथ, संगीत, रंगमंच और फिल्मी दुनिया में भी अहम दखल रखता है। इस साल राजस्थान के करीब 200 से ज़्यादा कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा।
साथ ही बुक्स स्टॉल्स पर अलग-अलग राइटर्स की करीब एक लाख बुक्स उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा 147 देशों से लोगों ने फेस्टिवल में आने के लिए रजिस्ट्रेशन किया है, जोकि जयपुर के लिए बड़ी बात है।

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