बेलिंगी को लेकर उन्होंने कहा कि इसकी चर्चा सकारात्मक होनी चाहिए। ओला ने कहा कि किन्नर के शुरुआती दिन संघर्ष भरे होते हैं। उन्होंने कहा कि किन्नर समाज का अहम हिस्सा रहे हैं। महाभारत में सिखंडी का चरित्र है। बाद में विकृति पैदा हुई।
थर्ड जेंडर को लेकर नंद भारद्वाज ने कहा कि विकलांग को सर्टिफिकेट मिल जाता है और उसको कई रियायत मिलती हैं। ऐसा किन्नर के साथ क्यों नहीं है। इनको भी आरक्षण मिलना चाहिए।
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एक सवाल के जवाब में ओला ने कहा कि जब तक समाज में भेद रहेगा तब तक दलित को, स्त्री को आरक्षण की जरूरत रहेगी। जातिवादी मानसिकता को मिटाकर समाज के भेद को मिटाना होगा। उन्होंने कहा कि किन्नर को सामान्य मनुष्य समझा जाए तो भेद खत्म होगा।
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नंद भारद्वाज ने कहा कि राजस्थानी भाषा में ये पहला उपन्यास है। महाभारत में इस चरित्र को पहचान मिली है। राजा-महाराजाओं में भी ऐसे चरित्र मिल जाएंगे। समय के साथ किन्नर समाज उपेक्षित हो गया।
बेलिंगी को कहानी में प्यार हुआ, लेकिन प्रेमी मिला नहीं….इस सवाल पर ओला ने कहा कि किन्नर भी मनुष्य है। प्रेम करता है। शादियां भी करते हैं। बाहरी समाज में व्यक्त नहीं करते हैं। आंतरिक बातें बाहर साझा करने की बड़ी सजा मिलती है। समाज से बहिष्कृत तक कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि साहित्य और फिल्मों में किन्नर का अपमान किया है। हिजड़ा तो सम्पूर्ण गाली है।