गुजरात के निर्दलीय विधायक तथा राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के मुखिया जिग्नेश 13 मई को राजस्थान के तीन दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। भीलवाड़ा के करेड़ा में 14 मई को उनकी जनसभा है, लेकिन प्रशासन ने करेड़ा की जनसभा में उनके जाने पर पाबंदी लगा दी है। इससे सामाजिक संगठनों में आक्रोश है।
यह दूसरा मौका है, जब मेवानी को रोका जा रहा है गौरतलब है कि 15 अप्रेल को नागौर जिले के मेड़ता रोड कस्बे में आयोजित सभा में जिग्नेश मेवानी के जाने पर न केवल प्रतिबंध लगा दिया गया था, बल्कि उनको जयपुर एयरपोर्ट पर ही रोककर वापस भेज दिया गया था। जिग्नेश मेवानी ने टीम राजस्थान की ओर से 1 अप्रेल को जयपुर में आयोजित एक सम्मेलन में करेड़ा में एससी-एसटी पर अमानवीय अत्याचार पर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पर 14 मई को करेड़ा चलने का आह्वान किया था। उसी सिलसिले में मेवानी की करेड़ा में जनसभा रखी गई है।
शांति भंग होने की आशंका करेड़ा में जिग्नेश की रैली और सभा के लिए बनी आयोजन समिति के सदस्य बाबू लाल चावला ने 4 मई को उपखंड अधिकारी और थानाधिकारी करेड़ा को लिखित आवेदन दे कर 14 मई को करेड़ा के हनुमान दरवाजा पर सभा और बीज गोदाम से सभा स्थल तक रैली की अनुमति चाही थी। चावला के जवाब में पुलिस ने 11 मई को देर शाम को आयोजको को बताया कि इलाके में शांति भंग की आशंका के चलते जिग्नेश मेवानी की सभा को अनुमति नहीं दी जा सकती हैं।
भाजपा सरकार को चेताया सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने बताया कि दलित नेता जिग्नेश मेवानी को करेड़ा में हो रहे एससी-एसटी अत्याचार के मामलों के पीडि़तों से मिलने और यहां पर आयोजित सभा में आने से रोकना अनुचित है। उन्होंने कहा कि बार-बार जिग्नेश मेवानी की सभाओं को रोका जाना एक राजनीतिक षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की सरकार मेवानी से डर गई है। इसलिए वह गैरकानूनी तरीके से उनकी सभाओं को रोक रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा।