गागरोन में यह तोते पहले बड़ी संख्या में पाए जाते थे। धीरे-धीरे पेड़ों की कटाई और भोजन नष्ट होने से यह यहां से पलायन कर गए। इसके साथ ही मनुष्य की बोली की नकल करने के लिए इन्हें पकड़कर बेचने के कारण भी इनकी प्रजाति पर संकट आ गया।
कई वर्ष पूर्व एलेक्जेंडर पैराकिट (गागरोनी तोता) झालावाड़ में हजारों की संख्या में पाए जाते थे। 35-40 वर्ष पूर्व भी इन्हें अच्छी संख्या में गागरोन के आसपास देखा जाता था। अब यह झालावाड़ शहर के आसपास से बिल्कुल विलुप्त हो चुके हैं। अच्छी बात यह है कि अभी झालावाड़ जिले के भालता क्षेत्र में इनकी साइटिंग होती है एवं छतरपुर के पास मध्यप्रदेश की सीमा में लगा गांव नीमथूर के जंगलों में भी इन्हें देखा जा सकता है। सवाई माधोपुर में अभी यह अच्छी संख्या में मिल जाते हैं।
एलेक्जेंडर पैराकिट पहले यहां अच्छी संख्या में थे। इन्हें फिर से यहां बसाने के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं। स्वीकृति मिलते ही इसका काम शुरू किया जाएगा।
—वी चेतन कुमार, उप वन संरक्षक, झालावाड़
—मनोज कुमार शर्मा, पक्षीविद्, झालावाड़