भाटी बने चौधरी के ‘भागीरथ’
राजस्थान की बहुचर्चित सीट बाड़मेर-जैसलमेर से पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, कांग्रेस से उम्मेदाराम बेनीवाल और निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ। जिसमें भाटी ने कैलाश चौधरी के वोटों पर सेंध मारते हुए उनसे ज्यादा वोट प्राप्त किए। हालांकि इस चुनाव में उम्मेदाराम विजयी हुए। माना जा रहा है कि यदि रविंद्र सिंह भाटी बाड़मेर से चुनाव नहीं लड़ते तो शायद कैलाश चौधरी फिर से चुनाव जीतते और वापस मोदी कैबिनेट के हिस्सा होते।
प्रदेश से भाजपा के दो जाट सासंद
राजस्थान में लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने 14 सीटों पर जीत कायम की। जिसमें दो सांसद जाट समुदाय से आते हैं। जिनमें भागीरथ चौधरी और पीपी चौधरी का नाम शामिल है। पिछली सरकार में कैलाश चौधरी केंद्र में मंत्री बने थे, लेकिन इस बार वो चुनाव हार गए। जिसका सीधा फायदा भागीरथ चौधरी को मिला है।
जातिगत समीकरण साधा
प्रदेश की जाट बाहुल्य सीट मानी जाने वाली झुंझुनू, सीकर और नागौर समेत पूरे शेखावाटी में भाजपा का सफाया हो गया। ऐसे में भाजपा आगामी नगर निकाय और उपचुनाव को लेकर जातिगत समीकरण साधना चाहती है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अजमेर सीट से बीजेपी के प्रत्याशी भागीरथ चौधरी ने कांग्रेस के रिज्जू झुनझुनवाला को हराया था।