जयपुर।सूर्याेदय और सूर्यास्त के रागों की जसरंगी जुगलबंदी ने श्रोताओं का मन मोह लिया। इसमें गायिका अश्विनी भिड़े देशपांडे और गायक पंडित संजीव अभ्यंकर ने अपने अपने स्केल के मुताबिक गायन शुरू किया तो प्रताप सभागार तालियों से गूंजने लगा। अवसर था श्रुतिमंडल, कला साहित्य व संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय सुराना स्मृति समारोह का।
45वें राजमल सुराना स्मृति दिवस के अवसर पर बुधवार को गायिका अश्विनी भिड़े देशपांडे एवं पंडित संजीव अभ्यंकर जसरंगी जुगलबंदी के साथ शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया। देशपांडे ने सूर्याेदय में गाए जाने वाला राग नट भैरव और अभ्यंकर ने सूर्यास्त की राग मधुबति की जुगलबंदी की। जिसमें शास्त्रीय संगीत की परंपरागत शैली को बरकरार रखते हुए नए प्रयोग किए गए। राजधानी में पहली बार इस तरह की जुगलबंदी को समायोजित करते हुए शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसको संगीत प्रेमियों सराया। कार्यक्रम में तबले पर अचिंत जोशी और आशय कुलकर्णी साथ ही हारमोनियम पर अभिनय रावड़े और अभिषेक शंकर शिनकर ने संगत की। कार्यक्रम का संचालन अनंत व्यास ने किया। प्राचीर सुराना ने बताया कि 5 जनवरी को पद्मश्री प्रकाश चंद सुराना स्मृति दिवस के अवसर पर पं. राकेश चौरसिया का बांसुरी वादन होगा। इनके साथ तबले पर ओजस व मृदंगम पर श्रीधर पार्थसार्थी संगत करेंगे।
देशपांडे को राजमल सुराना स्मृति सम्मान भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परम्परा को संरक्षण देने व संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए गायिका अश्विनी भिड़े देशपांडे को एक लाख रुपए का राजमल सुराना स्मृति सम्मान दिया गया। इसी के साथ पंडित संजीव अभ्यंकर के शिष्य हर्ष नकाशे सिंधु दुर्ग महाराष्ट्र को 51 हजार रुपए की पद्मश्री प्रकाश चंद सुराना छात्रवृत्ति दी गई। यह सम्मान गलता तीर्थ के महंत अवधेशाचार्य , कुशलचंद सुराना, विमलचंद सुराना, शोभा सुराना और चंद्रप्रकाश सुराना ने शॉल, श्रीफल और माला पहनाकर सम्मानित किया