जयपुर के एक परीक्षा केंद्र पर एक अभ्यर्थी का जनेऊ उतरवाने का मामला सुर्खियों में है। बांसवाड़ा निवासी हरेन दवे ने जिला कलक्टर को शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने बताया कि 27 सितंबर को जयपुर के महात्मा गांधी स्कूल में आयोजित परीक्षा के दौरान उनके जनेऊ को हटाने के लिए कहा गया।
दवे के अनुसार, पहले उनके हाथ में बंधा हुआ धार्मिक धागा (कलावा) हटवाया गया और इसके बाद जनेऊ को लेकर आपत्ति जताई गई। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें केंद्र अधीक्षक के पास भेजा गया। केंद्र अधीक्षक के दबाव में आकर उन्हें अपना जनेऊ उतारना पड़ा, जबकि उन्होंने यह तर्क दिया था कि पहले की परीक्षाओं में ऐसा कोई निर्देश नहीं था।
कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष क्या बोले
मामले के तूल पकड़ने पर
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष रिटायर्ड मेजर जनरल आलोक राज ने सोशल मीडिया पर अपना स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि जनेऊ की जांच करना उचित था, लेकिन उसे उतारने के लिए कहना गलत था। उन्होंने इसे शिक्षक द्वारा नियमों की गलत व्याख्या बताया और उम्मीद जताई कि इस घटना को व्यक्तिगत दुर्भावना से नहीं जोड़ा जाएगा।
विप्र फाउंडेशन ने जताई कड़ी नाराजगी
विप्र फाउंडेशन राजस्थान ने भी इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई है और इसे ब्राह्मण समाज के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि दोषी पुलिसकर्मी और स्कूल स्टाफ पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो ब्राह्मण समाज आंदोलन करेगा।
ये है पूरा मामला
दरअसल, शुक्रवार 27 सितंबर को एक अभ्यर्थी जयपुर में CET की परीक्षा देने गया था। परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले पुलिसकर्मी चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान एक अभ्यर्थी ने जनेऊ पहन रखा था। पुलिसकर्मियों ने जब उसे जनेऊ उतारने को कहा तो अभ्यर्थी ने मना कर दिया। बाद में यह मामला परीक्षा केंद्र के अधीक्षक यानी स्कूल प्रिंसिपल तक पहुंचा। प्रिंसिपल ने भी अभ्यर्थी से जनेऊ उतारने के बाद ही परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने को कहा। ऐसे में अभ्यर्थी को जनेऊ उतारना पड़ा।