पहले किसी मरीज के प्लेटलेट्स या फ्रेश फ्रोजन की जरूरत पड़ती थी तो उसके अटैंडेंट को एसएमएस अस्पताल भेजना पड़ता था। अटैंडेंट को जाने-आने में काफी समय लग जाता था। इससे कई बार मरीज की हालत भी गंभीर हो जाती थी। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में डिलीवरी के दौरान कई बार कॉम्प्लीकेशन हो जाते हैं। कभी खून जमने की क्षमता कम हो जाती तो कभी प्लेटलेट कम हो जाती। ऐसे में समय पर कम्पोनेंट नहीं मिल पाने से मरीज की जान भी चली जाती है। अब अस्पताल में ही कम्पोनेंट तैयार होने से मरीजों को समय पर उपलब्ध हो सकेंगे।
गौरतलब है कि मशीनों से ब्लड के अलग-अलग अवयव जैसे पैकसेल(लालरक्त), फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, डब्ल्यूबीसी आदि अवयव बनाए जाते हैं, जोकि डेंगू, लीवर की बीमारियों, कैंसर आदि विभिन्न बीमारियों में आवश्यकतानुसार अवयव की आपूर्ति की जाती है। ब्लड कम्पोनेंट सेपरेट करने की कई मशीनें नई आईं हैं, जिससे मरीजों को काफी सहूलियत मिलेगी।
निजी अस्पतालों को भी दिए जाएंगे कम्पानेंट
जानकारी के अनुसार जनाना अस्पताल के अलावा आस-पास के सभी अस्पतालों के लिए इस ब्लड बैंक की उपयोगिता रहेगी। क्योंकि दूसरे अस्पताल जैसे कांवटिया अस्पताल, टीबी एंड चेस्ट हॉस्पिटल और अन्य निजी अस्पताल भी इसकी सेवा ले सकेंगे। निजी अस्पतालों को भी डिमांड के अनुसार कम्पोनेंट दिए जाएंगे। इसके लिए सरकार की ओर से तय फीस ही ली जाएगी।
ब्लड बैंक के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अमित शर्मा ने बताया कि अभी तक ब्लड बैंक से ***** ब्लड की करीब 8 से 10 हजार यूनिट प्रति वर्ष सप्लाई की जाती थी। अब हर साल 14 से 16 हजार यूनिट सप्लाई की जाएगी। अब पैक्ड सेल, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा, आरडीपी, सिंगल डोनर प्लेटलेट्स के कम्पोनेंट यूनिट से तैयार होकर गंभीर प्रकृति के मरीजों के इलाज के लिए दिए जाएंगे। आने वाले समय में ब्लड बैंक का विस्तार किया जाएगा।
ब्लड कम्पोनेंट की सुविधा शुरू कर दी गई है। कई बार गर्भवती महिलाओं में इलाज के दौरान कॉम्प्लीकेशन हो जाते हैं तब कम्पोनेंट की जरूरत पड़ती है। समय पर कम्पोनेंट नहीं मिलने से मरीज की हालत और बिगड़ जाती है। अब समय पर कम्पोनेंट मिलने से मरीज का बेहतर इलाज हो सकेगा।
– डॉ. पुष्पा नागर, अधीक्षक, जनाना अस्पताल