रात को होती थीं चुनावी सभाएं
पहले चुनावी सभाएं रात 8 बजे बाद होती थीं, जो रात 12 से एक बजे तक चलती थी। विभिन्न राजनैतिक दलों की ओर से ऐसी सभाएं रामलीला मैदान व त्रिपोलिया गेट के बाहर होती थीं। तब लोग शाम को भोजन करके परिवार के साथ चुनावी सभाएं सुनने जाते थे, उनमें बच्चे भी होते थे। लोगों के लिए दरी बिछा दी जाती थी। चुनावी सभाओं के अलावा नुक्कड़ सभाएं भी होती थीं, जिनमें मेले सा माहौल नजर आता था।जयपुर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ने वाले यात्रियों के लिए आ गई बड़ी खुशखबरी, अब मिलेगी ये खास सुविधाएं
स्कूलों में हुआ था उत्सव
जयपुर में त्रिपोलिया गेट पर पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया था। इसमें राजप्रमुख की हैसियत से सवाई मानसिंह द्वितीय ने परेड की सलामी ली और झंडारोहण किया था। उस दौरान 4 हजार 653 कैदियों को जेल से छोड़ा। किसानों के लगान व बकाया माफ किए गए। सरकारी विभागों में छुट्टी की घोषणा की गई। पूरे शहर को रोशनी से सजाया गया। स्कूलों में उत्सव हुए और बच्चों को लड्डू व फल बांटे गए।10 साल बाद फिर राज्य स्तरीय समारोह का साक्षी बनेगा उदयपुर, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से जमेगा रंग
तब मोटा अनाज खाते थे, अब खाते हैं गेहूं
आजादी के पहले तक गवर्नमेंट ऑफ जयपुर की ओर से प्रकाशित कैलेंडरों का चलन था। वर्ष 1949 तक का पंचांग भी जयपुर गवर्नमेंट की ओर से ही प्रकाशित किया जाता था। पंचांग तब राज की अनुमति से ही निकलते थे। लोग उसी पर विश्वास भी करते थे। तब वार-त्योहार की तिथि को लेकर कोई विवाद नहीं होता था। आजादी के दौर का समय खास था। पहले अनाज की समस्या थी, गेहूं अमरीका से आता था। लोग जौ, बाजारा व मक्का की रोटियां खाते थे। अब मोटे अनाज के बजाय लोग गेहूं अधिक खाने लगे हैं।Hindi News / Jaipur / Republic Day 2025: जयपुर में यहां मना था पहला गणतंत्र दिवस, स्कूलों में हुआ था उत्सव