प्रदेश में जयपुर, जोधपुर और कोटा में तीन की जगह छह बोर्ड बनने के समय भाजपा का इसके पीछे तर्क था कि अपने वोटबैंक के हिसाब से कांग्रेस ने परिसीमन किया ताकि शहरी क्षेत्रों में वो काबिज हो सके। जबकि कांग्रेस का कहना था कि क्षेत्रफल बढ़ने की वजह से एक नगर निगम से शहर का विकास नहीं हो सकता। मगर भाजपा ने इसे षड्यंत्र बताया था।
साल 2020 में कांग्रेस ने 91 से किए थे 250 वार्ड
बतातें चलें कि जयपुर में सरकार ने साल 2020 में वार्डों की संख्या 91 से बढ़ाकर 150 कर दी थी। शहरी निकाय के चुनाव नजदीक आते ही स्थगित करते हुए जयपुर में हैरिटेज और ग्रेटर के नाम से दो नगर निगम का गठन करते हुए वार्डों की संख्या को 250 कर दिया। इसमें ग्रेटर में 150 और हैरिटेज में वार्डों की संख्या 100 रखी गई। इस विभाजन के बाद पहली बाद जयपुर में कांग्रेस का बोर्ड बना था।