दरअसल दड़ा मार्केट, हल्दियों का रास्ता और मनीराम जी की कोठी के 19 कॉम्प्लेक्स में व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। इस पर परकोटा क्षेत्र के करीब 950 व्यापारियों के रोजगार पर निगम की कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इसी गुहार को लेकर व्यापारी बुधवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर पहुंचे थे। व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल ने विधायक अमीन कागजी के नेतृत्व में शांति धारीवाल से वार्ता की।
व्यापारियों ने दिया यह तर्क
व्यापारियों ने कहा कि चारदीवारी में ऊपर मकान और नीचे दुकान का कंसेप्ट है। करीब 75 साल से व्यापारी यहां अपना व्यापार कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें नहीं हटाया जाना चाहिए। मगर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने साफ किया कि यह केस 2014 से चल रहा है। सरकार ने बचाव का पूरा प्रयास किया, लेकिन कोर्ट के आदेशों के अवहेलना नहीं की जा सकती।
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कोर्ट में याचिका लगाएं व्यापारी
चर्चा के बाद निष्कर्ष निकला है कि जो भी व्यापारी है वो इंडिविजुअल कोर्ट में याचिका लगाएं। जिन लोगों ने बिल्डिंग बनाई थी, उसका मालिकाना हक उनके पास नहीं है। वह अपनी प्रॉपर्टी को ट्रांसफर कर चुके हैं। ऐसे में कोर्ट ने जो आदेश किए हैं उसकी पालना सरकार की जिम्मेदारी है। जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष हुए ने कहा कि ये इमारतें बरसों से बनी हुई हैं, जहां सैकड़ों व्यापारी अपना रोजगार कर रहे हैं। यदि निगम उस बिल्डिंग को सील करती है, तो इसका सीधा असर व्यापारी उनके साथ काम करने वाले कर्मचारी और परिवारों पर पड़ेगा।
सरकार रिलीफ देने में सक्षम नहीं
विधायक अमीन कागजी ने कहा कि हाई कोर्ट के ऑर्डर पर राज्य सरकार रिलीफ नहीं दे सकती है। सरकार ने बचाव का भी प्रयास किया। लेकिन कोर्ट के आदेशों के अवहेलना नहीं हो सकती। जिन लोगों ने बिल्डिंग बनाई थी, उसका मालिकाना हक उनके पास नहीं है। वह अपनी प्रॉपर्टी को ट्रांसफर कर चुके हैं। ऐसे में कोर्ट ने जो आदेश किए हैं उसकी पालना सरकार की जिम्मेदारी है। व्यापारियों की मदद नहीं कर पाने में सरकार सक्षम नहीं है, सरकार के हाथ बंधे हुए हैं।