राजधानी के परकोटा क्षेत्र से लेकर वैशाली नगर, मालवीय नगर, महेश नगर, मानसरोवर, जगतपुरा और प्रताप नगर की कॉलोनियों में गेट दिन में बंद रहते हैं। गेट हटाने की जिम्मेदारी जेडीए, नगर निगम, स्थानीय पुलिस और यातायात पुलिस की है, लेकिन किसी ने कोई काम नहीं किया। जेडीए में वर्ष 2021 में ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में नियम जरूर बने, लेकिन उनकी पालना आज तक नहीं हो पाई।
बच्चों से पहले मां चखेगी खाना, जानें भजनलाल सरकार का ‘अनूठा’ आदेश?
करीब 10 वर्ष पहले यातायात पुलिस ने टीसीबी की बैठक में कॉलोनियों के गेट हटाने की सूची भेजी। कार्रवाई के नाम पर एक- दो जगह गेट हटाकर खानापूर्ति कर दी। यातायात पुलिस ने वर्ष 2014 में जो रिपोर्ट बनाई थी उसमें ऐसे 400 से अधिक गेट थे, जो यातायात में बाधा बन रहे थे। इतना ही नहीं, पुलिस ने शहर के 817 लोहे के गेट की डिजाइन में भी बदलाव करने को कहा था। डिजाइन में खामी होने की वजह से हादसे होने की बात यातायात पुलिस ने कही थी।
ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड (टीसीबी) की बैठक में कई बार दिन भर गेट बंद रखने का मुद्दा उठ चुका। इसके बाद यह निर्णय हुआ कि 60 फीट से अधिक चौड़ी सड़कों से गेट हटाए जाएंगे। चालीस फीट से कम चौड़ाई वाली सड़कों पर गेट लगाने के लिए संबंधित जोन कार्यालय से अनुमति लेने का भी निर्णय हुआ था। कॉलोनी की विकास समिति गेटों की निगरानी करवाएगी। रात 11 से सुबह पांच बजे तक गेट बंद रख सकेंगे।
भ्रष्टाचार पर जलदाय मंत्री का बड़ा बयान, आटे में नमक चलता है, यह सिस्टम है
कॉलोनियों के गेट बंद होने से लोग सड़क का इस्तेमाल पार्किंग के रूप में करते हैं। सड़क पर दिन भर गाड़ियां खड़ी रहती हैं। हैरानी की बात यह है कि जेडीए ने रात 11 से सुबह 5 बजे तक गेट बंद करने के निर्देश दे रखे हैं। इसके बाद भी कई कॉलोनियों में 24 घंटे गेट बंद रहते हैं।