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जयपुर अग्निकांड: देवदूत बने शेरा, खुद की जान दांव पर लगाकर 22 लोगों को बचाया; बताई हादसे की रौंगटे खड़े कर देने वाली सच्चाई

भांकरोटा में जयपुर-अजमेर हाईवे पर शुक्रवार को हुआ भीषण अग्निकांड जिसने भी देखा, वह जेहन में बस सा गया है। गैस टैंकर में आग लगने के बाद कई लोगों ने अपनी जान की परवाह किए बिना घायलों की मदद की।

जयपुरDec 24, 2024 / 08:11 pm

Anil Prajapat

जयपुर। भांकरोटा में जयपुर-अजमेर हाईवे पर शुक्रवार को हुआ भीषण अग्निकांड जिसने भी देखा, वह जेहन में बस सा गया है। गैस टैंकर में आग लगने के बाद कई लोगों ने अपनी जान की परवाह किए बिना घायलों की मदद की। किसी ने जलती हुई आग को बुझाने की कोशिश की, तो किसी ने घायलों को वाहनों से निकालकर अस्पताल पहुंचाया।
कई लोगों ने तो अपनी जान जोखिम में डालकर जलते हुए वाहनों से लोगों को बाहर निकालने में मदद की। इन्हीं रीयल हीरोज में से एक है शेरा गढ़वाल, इन्होंने हादसे की आंखों देखा हाल बयां किया तो हर कोई स्तब्ध रह गया।
गढवालों की ढाणी निवासी शेरा गढ़वाल ने बताया कि हादसे के वक्त वो अजमेर रोड पर सुबह मॉर्निंग वॉक कर रहे थे। धमाके के वक्त वो घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर थे। जब मौके पर पहुंचा तो वहां का मंजर बहुत भी भयानक था। जलते हुए लोग इधर-उधर भागते हुए नजर आए। एक जलता हुआ युवक भागता हुए मेरी तरफ आया तो पहले उसकी आग बुझाई और फिर कंबल ओढ़ाकर वही बिठा दिया।
उन्होंने आगे बताया कि आगे गया तो देखा कि एक गाड़ी में तीन लोग फंसे हुए थे। जिनको गाड़ी से बाहर निकालने में मदद की। तीनों को कुछ ही दूरी पर छोड़ने के बाद बस की तरफ दौड़ा। जहां पर एक महिला और दो बच्चों को देखा। इन्हें घटना स्थल से दूर लेकर गया। तीनों को एक गड्ढे में उतारकर उसे ढक दिया, ​ताकि वो आग की लपटों में ना आ जाएं।

आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ के बाद भी नहीं हारी हिम्मत

उन्होंने बताया कि कुछ ही देर में गैस टैंकर में जबर्दस्त ब्लास्ट हो गया। ऐसे में आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी होने लगी। तक तक सात आठ लोगों को बचाया, लेकिन सभी की हालत गंभीर थी। जब मौके पर गाड़ियां नहीं पहुंची तो घर से गाड़ियों की व्यवस्था की। लोगों की मदद से 6 लोगों को खुद की गाड़ी में बिठाकर नजदीकी अस्पताल पहुंचा। लेकिन, रास्ते में घायलों को काफी पीड़ा हो रही थी।
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22 लोगों को पहुंचाया अस्पताल

शेरा गढ़वाल ने बताया कि सभी लोगों को अस्पताल छोड़ने के बाद मैं वापस मौके पर पहुंचा। जब तक दूसरी गाड़ी से कुछ लोगों को अस्पताल लाया गया। दूसरी बार में मैं चार लोगों को अस्पताल लेकर आया। फिर तीसरी बार घटनास्थल पर पहुंचा।
जहां पर देखा कि जलते हुए एक आदमी चिल्लाते हुए आ रहा था। जिसे अस्पताल लेकर गया। लेकिन, गंभीर हालत होने पर एंबुलेंस से सवाई मानसिंह अस्पताल भिजवाया। इस काम में मेरे भाई और साथियों ने भी बहुत साथ दिया। हमने घटनास्थल से करीब 22 लोगों को अस्तपाल पहुंचाया।

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पहले कभी नहीं देखा ऐसा हादसा

धमाके की आवाज को सुनकर मैं भी स्तब्ध हो गया। आखिर ये हो क्या रहा है? लेकिन, मेरे मन में यही चल रहा था कि मेरी वजह से एक की भी जान बच गई तो इससे बड़ी कोई इंसानियत नहीं होगी। मैं खुद की जान की परवाह किए बिना यही सोचकर लगा रहा कि मैं कितने लोगों की जान बचा सकता हूं। ऐसा हादसा मैंने पहले कभी नहीं देखा। मैं यही चाहता हूं कि ऐसा कुछ फिर से न हो।

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