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जयपुर की स्थापना से पहले प्रगटे ताड़कनाथ, अब रोजाना दे रहे नए रूप में दर्शन

Jaipur Tadkeshvar Mahadev Temple history जयपुर। श्रावण का महिना और शिवालय में लोगों की भीड़ भोलेनाथ के प्रति आस्था की एक झलक दिखा रही है।

जयपुरAug 08, 2022 / 01:35 pm

Girraj Sharma

जयपुर की स्थापना से पहले प्रगटे ताड़कनाथ, अब रोजाना दे रहे नए रूप में दर्शन

जयपुर की स्थापना से पहले प्रगटे ताड़कनाथ, अब रोजाना दे रहे नए रूप में दर्शन

Jaipur Tadkeshvar Mahadev Temple history जयपुर। श्रावण का महिना और शिवालय में लोगों की भीड़ भोलेनाथ के प्रति आस्था की एक झलक दिखा रही है। ऐसी ही आस्था विश्वविख्यात जयपुर शहर के बीचों बीच स्थित ताड़क बाबा के दरबार में नजर आती है। ताड़केश्वर नाथ स्वयंभू है, जो जयपुर स्थापना से पहले खुद ही प्रकटे बताते है। यहां आने वालों में देश-दुनिया के श्रद्धालुओं भी शामिल है। ताड़केश्वर नाथ श्रावण माह में कभी अमरनाथ तो कभी महाकाल के रूप में लोगों को दर्शन दे रहे है। मंदिर में हर दिन नई-नई झांकियां सज रही है। मनमोहक शंगार को देख भक्तों के कदम बाबा के दरबार में ही ठहर जाते है। सावन के महीने श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है।

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मंदिर पुजारी विक्रांत व्यास बताते है कि ताड़केश्वर महादेव मंदिर जयपुर के इतिहास से भी पुराना है। मंदिर श्मशान भूमि पर बना है। यहां शिवलिंग स्वयं भू है। कभी यहां ताड़ के वृक्ष हुआ करते थे, जिसके चलते शिवजी ताड़केश्वर नाथ कहलाए। पहले यहां एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था। ताड़केश्वर महादेव मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण जयपुर शहर की स्थापना के समय ही हुआ। जयपुर रिसायत से वास्तुविद विद्याधर भट्टाचार्य ने ही इस मंदिर की रूपरेखा तैयार की है।

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श्रावण में हर दिन नई झांंकी
ताड़केश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास में हर दिन नई झांकी के दर्शन हो रहे है। यहां बर्फानी बाबा अमरनाथ, उज्जैन के महाकाल की झांकी के साथ बिल्वपत्रों की झांकी विशेष आकर्षक का केन्द्र रही है। मंदिर पुजारी विक्रात व्यास ने बताया कि मंदिर में रोजाना भक्तों की ओर से विशेष झांकियां सजवाई जा रही है। इनमें कई बड़ी झांकियां भी शामिल है। रोजाना ताड़क बाबा का अलग-अलग रूप में शंगार होता है। हर दिन नई झांकी में ताड़क बाबा लोगों को दर्शन दे रहे है। भक्त रमन अग्रवाल कहते है कि ताड़क बाबा के दर्शन जिस दिन नहीं होते है, वह दिन सूना लगता है। वे बचपन से यहां दर्शनों के लिए आ रहे है। अब यहां रोजाना नई झांकियों के दर्शनों के लिए सुबह से ही इंतजार रहता है। मंदिर में ही बाबा अमरनाथ, महाकाल के दर्शन हो रहे है।

दूध व देशी घी से भरते है जलहरी
ताड़क बाबा के दर्शन के साथ उनकी जलहरी भरने की परंपरा भी कायम है। मंदिर पुजारी के अनुसार जिन लोगों की मन की मुराद पूरी होती है, जिनके काम सफल होते है, वे लोग बाबा की दूध और देशी घी से जलहरी भरते है। श्रावण मास में आए दिन बाबा की जलहरी भरी जा रही है। यहां आने वाले भक्त भरत शर्मा कहते है कि बाबा की जलहरी भरने का विशेष फल मिलता है। वे नियमित दर्शनों के लिए आते है, यहां जलहरी भरने वालों की भीड लगी रहती है।

आज भी जल रही अखंड ज्योत
ताड़केश्वर महादेव के निज मंदिर में आज भी अखंड ज्योत जल रही है। लोग आस्था से ज्योत में घी डाल रहे है। मंदिर पुजारियों की मानें तो यह अखंड ज्योत सालों से नियमित चल रही है।

आस्था ऐसी, खींचे चले आते है भक्त…
ताड़केश्वर महादेव के नियमित दर्शन करने आने वाले बुजुर्ग रामेश्वर बियानी कहते है कि यहां ताडक बाबा के दर्शन करने से लोगों की बड़ी-बड़ी बीमारियां ठीक हुई है। वे कई सालों से नियमित यहां दर्शन करने आ रहे है। उन्होंने बताया कि मंदिर में विदेशों में रहने वाले भक्त जब भी जयपुर आते है, तब यहां दर्शन करने जरूर आते है। विदेश में रहने वाले गायक कलाकार भी यहां भजन संध्या में अपनी प्रस्तुति दे चुके है। यहां रोजाना दर्शन करने आने वाले राजेश शर्मा कहते है कि बाबा के दर्शन करने से ही हर मुराद पूरी हो जाती है। वे नियमित यहां दर्शन करने आते है। खासकर श्रावण मास में बाबा के दरबार में भक्तों की भीड़ नजर आती है। लोग नियमित शिवजी के जलाभिषेक करते है।

काशी — विश्वनाथ भी विराजे है मंदिर में
ताड़केश्वर महादेव मंदिर में काशी विश्वनाथ विश्वेश्वरजी भी विराजमान है। जयपुर स्थापना के समय तत्कालीन महाराजा ने मंदिर का निर्माण करवाई, उस दौरान यहां विश्वेश्वर महादेवजी की स्थापना करवाई गई। इन विश्वेश्वर महादेव के नाम से ही जयपुर शहर की एक चौकड़ी का नाम चौकड़ी विश्वेश्वर रखा गया। मंदिर पुजारी बताते है कि काशी विश्वनाथजी के दर्शन नहीं कर पाने वाले भक्त अगर यहां आकर विश्वेश्वरजी के दर्शन कर लें तो उन्हें काशी विश्वनाथजी के दर्शनों का पुण्य मिलता है।

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