सवाल-जवाब का फतवा भी जारी किया ( Jaipur News ) मुफ्ती मोहम्मद जाकिर ने बताया कि इस्लाम मजहब में मजबूरी के मद्देनजर काफी गुंजाइश होती है। इस बीमारी से सीधे तौर पर जान का खतरा है। इसलिए कतई एकजुट न हों, इन दिनों इज्तेमाई नमाज भी न पढ़ें। उन्होंने बताया कि मजबूरी में यदि कोई घर पर नमाज पढ़ता है तो उसे पूर सवाब मिलता है। उन्होंने इस मामले में एक सवाल-जवाब का फतवा भी जारी किया है। जिसमें उन्होंने ऐसे हालात में पढ़ी जाने वाली नमाज का बारीकि से जिक्र किया है।
प्रशासन और पुलिस का करें सहयोग इस बीच शहर मुफ्ती ने आमजन से संकट की इस घड़ी में सभी जगहों पर प्रशासन और पुलिस का सहयोग करने और गली मोहल्लों में भीड़—भाड़ इकट्टा नहीं होने की अपील की है। साथ ही सभी से शांति बनाए रखने की गुजारिश की है। साथ ही इस बीमारी को लेकर सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक बात मानने की अपील की है।
मस्जिद कमेटियों से की अपील शहर मुफ्ती ने मस्जिद कमेटियों से भी अपील की है कि वह इनदिनों मस्जिदों में खास तौर पर साफ सफाई का ध्यान रखें। प्रशासन की ओर से लगाई गई धारा 144 ( Article-144 ) की पालना करें। मस्जिदों में चुनिंदा लोग ही नमाज अदा करें। लोगों की समझाइश करें और किसी भी हालत में भीड़ जुटने न दें।
ज्यादा से ज्यादा मदद करें, आस-पड़ौस की
शहर मुफ्ती ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते ज्यादा से ज्यादा लोग अपने आस—पड़ौस की मदद करें और खाने-पीने के इंतजाम करें। इस स्थिति में घर में रहकर भी जुमे की नमाज अदा की जा सकती है। इस दौरान लोगों के सवाब में कोई कमी नहीं आएगी।
शहर मुफ्ती ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते ज्यादा से ज्यादा लोग अपने आस—पड़ौस की मदद करें और खाने-पीने के इंतजाम करें। इस स्थिति में घर में रहकर भी जुमे की नमाज अदा की जा सकती है। इस दौरान लोगों के सवाब में कोई कमी नहीं आएगी।