शास्त्री नगर में 01 जुलाई की रात सात साल की मासूम को अपना शिकार बनाने से पहले जीवाणु ने 22 जून को मासूम चार साल की मासूम को अपना शिकार बनाया था। बड़ी बात यह है कि पुलिस ने 22 जून को मासूम के साथ हुई दरिंदगी की घटना पर गंभीरता दिखाई हुई होती तो, 01 जुलाई की रात सात साल की बच्ची जीवाणु का शिकार नहीं बन पाती।
बच्ची ने सिकंदर की मोटरसाइकिल की जानकारी दी थी 22 जून की रात बच्ची से दुष्कर्म की घटना के मामले में परिजनों से शास्त्रीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी। इस मामले में पीड़ि़त बच्ची ने पुलिस को सिकंदर की मोटरसाइकिल की जानकारी भी दे दी थी। इसके बावजूद पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। पुलिस बच्ची के बयान और मोटरसाइकिल के आधार पर आरोपी की तलाश में तत्परता दिखाती तो दूसरी बच्ची दुष्कर्म का शिकार नहीं बनती।
1 जुलाई को फिर घिनौनी घटना को दिया अंजाम पहली घटना के बाद भी पुलिस के सचेत नहीं होने पर सिकंदर का हौशला बढ़ गया और वह फिर ड्रग्स का नशा कर शास्त्रीनगर इलाके में मोटरसाइकिल से पहुंच गया। वहां बिस्कुट लेने के घर से बाहर आई सात वर्षीय बच्ची को पापा से मिलने का झांसा दे उसे मोटरसाइकिल पर बैठा लिया और अमानिशाह के नाले में ले जाकर दुष्कर्म किया। रात करीब एक बजे बच्ची को वापस घर के पास छोड़ कर फरार हो गया।
2004 में बच्चे की कुकर्म के बाद टैंक में डूबोकर की हत्या आरोपी सिकंदर उर्फ जीवाणु ने पहली बार किसी मासूम को अपनी हवस का शिकार नहीं बनाया। चौकाने वाली बात यह रही कि जीवाणु एक वायरस की तरह आदतन अपराधी है और इस तरह की वारदात कर जेल तक जा चुका है। सबसे पहले इसने 2004 में मुरलीपुरा थाना इलाके में एक बच्चे की कुकर्म के बाद उसे टैंक में डूबोकर उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद यह 2015 से जमानत पर बाहर आया तो रूका नहीं।