कई परिवारों के तो मुखिया ही छिन गए। इन परिवारों का शहर-समाज ने साथ दिया, राजस्थान विश्वविद्यालय ने आश्रितों की नि:शुल्क शिक्षा का बीड़ा उठाया। नि:शुल्क शिक्षा से पीडि़तों-आश्रितों को खासी राहत मिली। चारदीवारी निवासी प्रियंका शर्मा के पिता की दुकान फूल वाले खंदे, छोटी चौपड़ पर थी। बम धमाके में प्रियंका का भाई घायल हो गया। पिता को गहरा सदमा लगा। उन्होंने दुकान भी किराए पर दे दी। प्रियंका ने विश्वविद्यालय से पीजी की डिग्री प्राप्त की। कुछ समय निजी कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। अब वह परिवार के साथ अजमेर में रह रही हैं।
36 आश्रितों को दी नि:शुल्क शिक्षा
राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर बम धमाकों के पीडि़त परिवारों के 36 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे चुका है। विवि के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. भूपेंद्रसिंह शेखावत ने बताया कि विस्तृत राहत योजना के तहत आश्रित या 25 प्रतिशत से अधिक स्थाई घायल हुए व्यक्ति के आश्रित को विवि के किसी भी पाठ्यक्रम में प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया गया। नियमित पाठ्यक्रमों में प्रवेश पर इनसे प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क समेत कोई फीस नहीं ली गई।
सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर के पुजारी ताराचंद शर्मा मंदिर के बाहर फटे बम के शिकार हो गए थे। ताराचंद के पीछे 4 बेटियां रह गईं-शिखा, शीतल, शिवानी, स्वाति। चारों ने राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक व स्नातकोतर की डिग्री ली। शिखा ने कुछ समय तक निजी कम्पनी में नौकरी भी की। समाज के भामाशाहों ने इन बेटियों की शादी कराई। शिखा, शीतल व शिवानी तीनों एक ही परिवार में हैं।
छोटी चौपड़ स्थित फूल वाले खंदे में हुए धमाके के दौरान चारदीवारी निवासी राहुल शर्मा को छर्रे लगे। इसमें पित्त की थैली समेत कई अंगों को नुकसान पहुंचा। चालीस प्रतिशत से अधिक विकलांगता भी हो गई। राहुल ने राजस्थान कॉलेज से बीए किया। आज निजी कम्पनी में नौकरी कर रहे हैं। राहुल ने बताया कि धमाके के समय वह 14 वर्ष के थे।
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– सांगानेरी गेट स्थित हनुमानजी के मंदिर पर पंक्चर की दुकान लगाने वाले मृतक इकबाल के बेटे मोसिम अहमद व शहजाद अहमद ने पहले राजस्थान कॉलेज से स्नातक, फिर विधि महाविद्यालय से लॉ की डिग्री ली। अब दोनों एडवोकेट हैं।
– चांदपोल बाजार स्थित हनुमान मंदिर पर बम धमाकों में मारे गए राधेश्याम यादव के पुत्र गिरिराज ने कॉमर्स कालेज से बी-कॉम की डिग्री ली। हव रोडवेज परिचालक हैं, बहन नेहा स्नातक कर चुकी हैं।
– चालक गोपाल सिंह की पुत्री भानू व सोनू ने यूजी व पीजी किया। भानू दिल्ली में सॉफ्टवेयर कम्पनी में कार्य कर रही हैं।