मंदिर का इतिहास
ढूढाड़ में कछवाहों का आगमन होने के पहले से बाण गंगा नदी पर बने इस मंदिर के पास में मीणा व अन्य जातियों का श्मशान था। आमेर महाराजा पृथ्वीराज 1503 में नाथ संतों की तपस्या स्थली रहे श्मशानेश्वर महादेव मंदिर में कई औघड़ साधुओं ने कठोर तपस्या भी की थी। मंदिर में एक गुफा भी थी। वर्ष 1904 में बने बांध में पानी के साथ आई मिट्टी से गुफा भी बंद हो गई। पुराने लोगों का कहना है कि इस इलाके के लोग बाण गंगा को पवित्र गंगा नदी मानकर अस्थियों का विसर्जन भी करते थे।
ढूढाड़ में कछवाहों का आगमन होने के पहले से बाण गंगा नदी पर बने इस मंदिर के पास में मीणा व अन्य जातियों का श्मशान था। आमेर महाराजा पृथ्वीराज 1503 में नाथ संतों की तपस्या स्थली रहे श्मशानेश्वर महादेव मंदिर में कई औघड़ साधुओं ने कठोर तपस्या भी की थी। मंदिर में एक गुफा भी थी। वर्ष 1904 में बने बांध में पानी के साथ आई मिट्टी से गुफा भी बंद हो गई। पुराने लोगों का कहना है कि इस इलाके के लोग बाण गंगा को पवित्र गंगा नदी मानकर अस्थियों का विसर्जन भी करते थे।
एशियाई खेलों का गवाह भी रहा
जयपुर के सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट के तौर पर पहचान बनाने वाला रामगढ़ बांध भारत में वर्ष 1982 में हुए एशियाई खेलों का गवाह भी रहा है। एशियाई खेलों के वाटर स्पोट्र्स का आयोजन स्थल जयपुर का यह रामगढ़ बांध ही था। खेलों के आयोजन स्थल के तौर पर रामगढ़ बांध ने जयपुर को एशिया में विशेष पहचान दिलाई थी। लेकिन अब इसके हाल देखकर कोई नहीं कह सकता कि कभी यहां इतना बड़ा आयोजन हुआ था। रामगढ़ बांध के साथ-साथ जयपुर के लोगों को भी इसके पुराने दिन लौटने का इंतजार है।
जयपुर के सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट के तौर पर पहचान बनाने वाला रामगढ़ बांध भारत में वर्ष 1982 में हुए एशियाई खेलों का गवाह भी रहा है। एशियाई खेलों के वाटर स्पोट्र्स का आयोजन स्थल जयपुर का यह रामगढ़ बांध ही था। खेलों के आयोजन स्थल के तौर पर रामगढ़ बांध ने जयपुर को एशिया में विशेष पहचान दिलाई थी। लेकिन अब इसके हाल देखकर कोई नहीं कह सकता कि कभी यहां इतना बड़ा आयोजन हुआ था। रामगढ़ बांध के साथ-साथ जयपुर के लोगों को भी इसके पुराने दिन लौटने का इंतजार है।