जयपुर

जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट के मुद्दे-यहां मजबूत कौन, वोटर्स का क्या है मिजाज; जानेें ग्राउंड रिपोर्ट

Jaipur Rural Lok Sabha seat: पत्रिका ने जयपुर शहर लोकसभा सीट के आठों विधानसभा क्षेत्रों में जनता की नब्ज टटोली। यहां के मुद्दे, भाजपा-कांग्रेस में मजबूत कौन, वोटर्स का क्या है मिजाज के संबंध में चर्चा की। पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट।

जयपुरApr 07, 2024 / 03:38 pm

Suman Saurabh

RJ Loksabha Chunav: मौसम के साथ सियासत का पारा भी चढ़ता जा रहा है। सियासी गर्माहट के बीच दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर राजनीति में सक्रिय खिलाड़ियों को मैदान में उतारा है।कांग्रेस ने जहां युवा चेहरे पर भरोसा जताया है तो वहीं उनका मुकाबला भाजपा के मंझे खिलाड़ी से है। पत्रिका ने इस सीट के आठों विधानसभा क्षेत्रों में जनता की नब्ज टटोली। जानिए जनता की राय क्या हैं?

 

 

चुनाव के दौरान हर बार नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव बाद उन्हें कोई सरोकार नहीं होता है। पिछले कई साल से पेयजल सहित कई समस्याएं जस की तस हैं, लेकिन कोई इस ओर देखता ही नहीं है, ईआरसीपी से जरूर उम्मीद बंधी है। कुछ ऐसी ही चर्चा शाहपुरा के मुख्य बाजार में चाय की थड़ी पर लोग कर रहे थे। जब उनसे पूछा कि क्या-क्या समस्याएं हैं तो बोले ये पूछो क्या समस्या नहीं है। पानी, चिकित्सा, सार्वजनिक परिवहन, शिक्षा, रोजगार कुछ भी तो पूरा नहीं है।

लालचंद जाट, महावीर प्रसाद बोले कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार की उचित व्यवस्था नहीं होने से युवाओं को शहरों की तरफ पलायन करना पड़ रहा है। स्थानीय स्तर पर ही युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था की जानी चाहिए। मोहनलाल जांगिड़ बोले कि लगता है इस बार लोकसभा चुनाव में भी जातिगत समीकरण हावी रहेंगे। आजकल जाति की राजनीति होने लग गई है।

 

 

फूलचंद जाट, किशन सहाय जाट ने कहा कि शाहपुरा में पीने का पानी की कमी सबसे गंभीर समस्या है। छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल निठारवाल व पवन बुनकर ने कहा कि क्षेत्र में पीजी स्तर का महिला महाविद्यालय होना चाहिए और सरकारी बीएड कॉलेज खोला जाना चाहिए। गरीब तबके के विद्यार्थियों के मोटी फीस देनी पड़ती है।

कोटपूतली पहुंचा तो लक्ष्मी नारायण मंदिर के सामने चाय की थड़ी पर लोग बैठे मिले। चुनाव पर चर्चा करने पर रोहिताश सैनी, ओमप्रकाश सैनी, श्यामलाल, महेश स्वामी ने कहा कि निर्णायक तो जातिगत समीकरण ही रहेंगे। जीत को लेकर अपने-अपने कयास लगाने के बाद यहां नेताओं का दूसरी पार्टी में शामिल होना भी लोगों में खासा चर्चा में था। पीएम की सभा का भी लोगों ने जिक्र किया।

 

 

2019 में ओलम्पियन खिलाड़ी शूटर कर्नल राज्यवर्धन सिंह भाजपा से कांग्रेस की ओलम्पियन डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया के सामने उतरे थे। पूनिया को 4 लाख मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्यवर्धन सिंह व कांग्रेस के सीपी जोशी के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें राज्यवर्धन 3 लाख मतों से जीते।

 

 

सीट पर भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। कोई निर्दलीय दमदार नहीं है। हालांकि इस सीट पर राज्य में सर्वाधिक 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने तीन बार विधायक व विधानसभा उपाध्यक्ष रहे चुके नेता राव राजेन्द्र सिंह पर भरोसा जताकर दूसरी बार लोकसभा चुनाव में उतारा है, वहीं कांग्रेस के युवा चेहरे अनिल चौपड़ा पहली बार किस्मत आजमा रहे हैं। जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। पिछले चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने कृष्णा पूनिया को उतारा था, लेकिन वे हार गईं थी। क्षेत्र में यादव मतदाता सबसे अधिक हैं। इसके बाद जाट व गुर्जर मतदाता हैं।

आठ विधानसभा क्षेत्र हैं शामिल: कोटपूतली, विराटनगर, बानसूर, शाहपुरा, आमेर, झोटवाड़ा, जमवारामगढ़, फुलेरा विस क्षेत्र हैं।

 

 

>पेयजल की गंभीर समस्या

>रोजगार व उच्च शैक्षणिक संस्थानों की कमी

>चिकित्सा व्यवस्थाओं में कमी

5 साल में 2.32 लाख बढ़े मतदाता

जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में इस बार 21 लाख 84 हजार 978 मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे। पांच साल में क्षेत्र में करीब 2 लाख 32 हजार 436 मतदाता बढ़े हैं।

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