स्थापत्यकला की होगी लंबे समय तक चर्चा
युवा मनीषी मनीष सागर मा.सा. ने ऋषभदेव के आदिनाथ बनने की चर्चा की। उन्होंने कहा कि 200-500 साल के बाद भी लोग मंदिर की भव्यता, स्थापत्यकला की चर्चा करेंगे। साध्वी प्रियरंजना श्रीजी मा.सा., साध्वी सौम्याजंना श्रीजी मा.सा. सहित अन्य ने भी संबोधित किया। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष प्रकाश चन्द लोढ़ा ने बताया कि आचार्य जिनपीयूष सागर सूरिश्वर म.सा. व उनकी शिष्य मण्डली का भव्य प्रवेश हुआ। मोहनबाड़ी प्रांगण में अब कुल 38 साधु भगवंतों का विराजना हो गया है। जयपुर में अन्य स्थानों पर 92 साध्वियां भी पहुंच चुकी हैं। मंगलवार सुबह छह बजे च्यवनकल्याण महोत्सव की शुरुआत होगी और चौदह स्वप्न दर्शन फल कथन का वृहद कार्यक्रम होगा।