जयपुर

निगम की पशु प्रबंधन शाखा फेल …परकोटा के बाद अब नव विकसित कॉलोनियां में बंदरों का आतंक

 
—शिकायत पर नहीं हो रही सुनवाई क्योंकि संसाधन ही पर्याप्त नहीं—बंदर भी पकड़कर आसपास ही छोड़ देते, कुछ दिन बाद वापस आ जाते

जयपुरOct 23, 2021 / 12:07 am

Ashwani Kumar

जयपुर। राजधानी के बाहरी इलाकों के लोग अब बंदरों से परेशान होने लगे हैं। पहले बंदर सिर्फ परकोटा में ही सीमित थे, लेकिन अब मानसरोवर, वैशाली नगर से लेकर प्रताप नगर और जगतपुरा तक पहुंच गए हैं। दोनों नगर निगमों की पश प्रबंधन शाखा बंदरों पर काबू पाने में नाकाम हैं। इधर, हाल यह है कि कई लोगों को बंदर काट चुके हैं। परकोटे में तो लोगों ने बंदरों के डर से घरों की बालकनी और खुले क्षेत्र तक में लोहे की जालियां लगवा ली हैं।
दरअसल, कई वर्षों से निगम बंदरों की संख्या सीमित रखने के लिए इनको पकड़ने और बाहर भेजने का कार्यादेश देता रहा है। इस पर अब तक लाखों रुपए खर्च भी हो चुके हैं। इसके बाद कोई भी बदलाव शहर में देखने को नहीं मिल रहा है। परकोटे के बात करें तो वहां पर हालात पहले जैसे ही हैं और बाहरी कॉलोनियों में संख्या बढ़ना शुरू हो गई है। पशु प्रबंधन शाखा के अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। जबकि, निगम संवेदक को हर वर्ष 10 लाख रुपए से 12 लाख रुपए तक का सालाना भुगतान भी करता है।
शहर के बाहर छोड़ देते, बंदर फिर आ जाते
—संवेदक नियम और शर्तों की पालना नहीं करते। पशु प्रबंधन शाखा के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत कर बंदरों को शहर के बाहर छोड़ देते हैं।
—बंदरों को पकड़कर संजय बाजार स्थित दबावखाना में रखा जाने का प्रावधान है। यहां पर पिंजरे लगाए हैं। जब संख्या 50 के आस—पास हो जाती हैं तो इनको बड़े पिंजरे में सवाईमाधोपुर में छोड़े जाने का प्रावधान है।
—पिछले वर्षों में 1200 से 1500 बंदरों के पकड़कर बाहर निगम ने करवाए हैं, लेकिन पास में ही छोड़े जाने की वजह से ये वापस शहर में आ जाते हैं।
महल योजना में बंदरों ने मचाया आतंक
—जगतपुरा स्थित महल योजना बी ब्लॉक में कुछ दिनों से बंदरों से लोग परेशान हैं। अन्य कॉलोनियों में भी यही हाल है। स्थानीय निवासी अभिषेक सांघी ने बताया कि 20 से अधिक बंदरों की रोज आवाजाही रहती है। पानी की टंकियों को तोड़ देते हैं। पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। निगम में शिकायत की, लेकिन कोई अमल नहीं हुआ। इतना ही नहीं, शिकायत का निस्तारण किए बगैर मोबाइल पर शिकायत निस्तारित होने का मैसेज भेज दिया। वहीं, राजेश अग्रवाल व पीयूष जैन ने बताया गया कि सुबह शाम लोगों का टहलना दूभर हो गया है। साथ ही बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। शिकायत का समाधान ना मिलने पर महापौर को इस बाबत ज्ञापन दिया जाएगा।
—मानसरोवर की कई कॉलोनियों में यही हाल है। ब्लॉक 76 में कई दिन से बंदर सुबह ही आ जाते हैं। बालकनी में रखे सामान को उठा ले जाते हैं। एक दो लोगों को काट भी चुके हैं। इसी तरह वैशाली नगर के डी, ई और गिरनार कॉलानी के अलावा आदित्य विहार, हनुमान नगर में लोग बंदरों से परेशान हैं।

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