इसलिए आ रहे लोग
—शहरवासियों को एक ही जगह पर शहर के परम्परागत व्यंजन मिल जाते हैं। साथ ही चाइनीज और साउथ इंडियन फूड भी मिल जाता है।
—मसाला चौक के पास अल्बर्ट हॉल है। ऐसे में सैलानियों की संख्या भी यहां पर खूब रहती है।
—शहरवासियों को एक ही जगह पर शहर के परम्परागत व्यंजन मिल जाते हैं। साथ ही चाइनीज और साउथ इंडियन फूड भी मिल जाता है।
—मसाला चौक के पास अल्बर्ट हॉल है। ऐसे में सैलानियों की संख्या भी यहां पर खूब रहती है।
एक साथ सब कुछ
इन जगहों पर राजस्थानी, चाइनीज, साउथ इंडियन फूड के अलावा पंजाबी फूड, मिठाई, चाट, चाय और कॉफी से लेकर आइसक्रीम और ज्यूस की भी शॉप्स हैं। यानी एक ही जगह पर दाल बाटी चूरमा, बेजड़—टिक्कड़, मक्के की रोटी से लेकड डोसा, उत्पम, पंजाबी भल्ला, पाव भाजी, छोले—भटूरे, चीला का लुत्फ उठा रहे हैं।
इन जगहों पर राजस्थानी, चाइनीज, साउथ इंडियन फूड के अलावा पंजाबी फूड, मिठाई, चाट, चाय और कॉफी से लेकर आइसक्रीम और ज्यूस की भी शॉप्स हैं। यानी एक ही जगह पर दाल बाटी चूरमा, बेजड़—टिक्कड़, मक्के की रोटी से लेकड डोसा, उत्पम, पंजाबी भल्ला, पाव भाजी, छोले—भटूरे, चीला का लुत्फ उठा रहे हैं।
ये स्थिति
1—जयपुर चौपाटी
सामान्य दिनों में: 4200 से 4400 लोग
वीकेंड पर प्रतिदिन: आठ हजार से 10 हजार तक
—मानसरोवर और प्रताप नगर दोनों चौपाटियों की स्थिति 2—मसाला चौक
सामान्य दिनों में: 1500 से 1700
वीकेंड पर प्रतिदिन: तीन हजार से 3500 तक
—जेडीए अधिकारियों की मानें तो शुरुआत के दिनों में एक दिन में चार हजार से पांच हजार तक लोग आते थे।