यह भी पढें : आपसी संघर्ष ले रहा टाइगर की जान, सात साल में एक दूसरे से लड़ाई में 72 मरे गंभीर यह रहा कि इतना सब कुछ होने के बाद भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों पर कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया। दरअसल, कांग्रेसी पार्षद उमरदराज ने जब शिप्रा पथ थाने में दर्ज एक मामले में पार्षद मुकेश लख्यानी और सांसद रामचरण बोहरा का नाम लिया तो भाजपाई आग बबूला हो गए। उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। फिर क्या था मामला इतना तूल पकड़ लिया दोनों पार्टी के पार्षद आमने—सामने हो गए और हाथापाई कर डाली। महिला पार्षद तक इसमें पीछे नहीं रहीं। करीब 15 मिनट तक नौटंकी चलती रही। इस बीच कार्यवाही 1 घंटे के लिए स्थगित कर दी गई।
यह भी पढें : काम की खबर : लंबित मामलों के निस्तारण के लिए पासपोर्ट अदालत शनिवार को निलंबन की मांग, पर बचने में सफल भाजपा पार्षद विष्णु लाटा ने नियमों का हवाला दे उमरदराज के निलंबन की मांग की। इसमें अन्य पार्षदों ने भी समर्थन किया। इस बीच उमरदराज को शब्द वापिस लेकर मामला निपटाने के लिए कह दिया गया। उमरदराज ने भी शब्द वापिस लेने में भलाई समझी, लेकिन उस वक्त भी एफआईआर में दर्ज नाम पर कटाक्ष कर दिया। किसी भी एक्शन नहीं लिया गया। हालांकि, महापौर ने उमरदराज, धरमसिंह सिंघानिया और लक्ष्मण मोरानी को चेतावनी दी कि फिर से ऐसा हुआ तो एक्शन लिया जाएगा।