जानकारी के अनुसार यह आखिरी वोट पार्षद बजरंग कुमावत का था। कुमावत का दिल्ली जाने के कार्यक्रम के चलते सबसे आखिरी में वोट डालने पहुंचे थे। कुमावत के इस आखिरी वोट से भाजपा की जीत का समीकरण बिगड़ गया। महापौर के चुनाव में कुल 90 वोट डाले गए। जिनमें 45 मत विष्णु लाटा को, 44 वोट मनोज भारद्वाज को और एक वोट कैंसिल हुआ।
दिनभर चला मनाने का खेल
बीजेपी से पार्षद विष्णु लाटा आखिर संगठन के आगे नहीं झुके और मेयर के चुनाव के लिए मैदान में डटे रहे। लाटा ने मेयर पद के लिए नामांकन दाखिल किया और पूर्व मंत्री और विधायकों के लाख समझाने के बावजूद भी अपना नाम वापस नहीं लिया। नाम वापसी की समय सीमा समाप्त होने के बाद लाटा निगम पहुंचे और कहा कि भाजपा से बागी नहीं हूं और लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत चुनाव लड़ रहा हूं।
बीजेपी से पार्षद विष्णु लाटा आखिर संगठन के आगे नहीं झुके और मेयर के चुनाव के लिए मैदान में डटे रहे। लाटा ने मेयर पद के लिए नामांकन दाखिल किया और पूर्व मंत्री और विधायकों के लाख समझाने के बावजूद भी अपना नाम वापस नहीं लिया। नाम वापसी की समय सीमा समाप्त होने के बाद लाटा निगम पहुंचे और कहा कि भाजपा से बागी नहीं हूं और लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत चुनाव लड़ रहा हूं।