सिंगापुर सरकार ने पहले ही जताई थी घाटे की आशंका गौरतलब है कि जयपुर में मेट्रो शुरू किये जाने की कवायद के दौरान सिंगापुर सरकार ने जयपुर में मेट्रो की सार्थकता पर सवाल उठा दिए थे। जयपुर मेट्रो के लिए निवेश की उम्मीद लिए राजस्थान सरकार को उस वक्त भी झटका लगा था जब सिंगापुर सरकार ने इसमें घाटे का सौदा बताते हुए रूचि नहीं दिखाई थी। सिंगापुर सरकार के उच्चाधिकारियों का कहना था कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के मुकाबले जयपुर में यात्री भार बेहद कम है। इसे राजनीतिक कारणों से भले ही शुरू किया जा सकता है लेकिन ये आर्थिक रूप से बिल्कुल भी उचित नहीं है।
गलत डीपीआर का खामियाजा मेट्रो में उम्मीद से ज्यादा घाटे की वजह डीपीआर में गलत यात्री भार का आंकलन बताया जा रहा है। मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले जनवरी 2010 में जयपुर विकास प्राधिकरण ने दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों के साथ मिलकर जो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाई थी उसमें 2014 में मानसरोवर से बड़ी चौपड़ तक चलने वाले यात्रियों की संख्या 2 लाख प्रतिदिन आंकी गई थी।
हालांकि डीपीआर में यह आंकलन दोनों फेज शुरू होने के बाद मानसरोवर से बड़ी चौपड़ तक का बताया गया था। अभी मेट्रो के पहले फेज में मानसरोवर से चांदपोल तक संचालन किया जा रहा है। इसमें यात्री भार उम्मीद से दस गुणा कम है।
एेसा है यात्रियों का दैनिक औसत माह यात्रियों की संख्या अक्टूबर – 24395 नवम्बर – 23877 दिसंबर – 21975 जनवरी- 22687 यह रहा आठ माह में घाटे का हिसाब (राशि करोड़ों रुपए में)
माह आय व्यय घाटा जून 2.16 2.64 0.48 जुलाई 1.18 3.78 2.60 अगस्त 1.29 4.97 3.68 सितंबर 0.91 3.78 2.87 अक्टूबर 0.84 3.17 2.33 नवम्बर 1.07 3.51 2.44
दिसंबर 1.04 3.50 2.46 जनवरी 2.05 2.95 0.90 कुलयोग- 10.54 28.30 17.76