चौथा दिन साहित्य और समाज के नाम फेस्टिवल के चौथे दिन विवेकानंद के ज्ञान, हरिप्रसाद चौरसिया की विरासत, जाति प्रथा के दंश, आजादी की कीमत और कला के विविध रूपों पर विस्तार से बात हुई| पहले सत्र ‘कास्ट मैटर’ ने श्रोताओं को समाज की वास्तविकता से रूबरू कराया। सत्र सूरज येंग्ड़े की किताब, कास्ट मैटर पर आधारित था, जिसमें सूरज से बात की वरिष्ठ अकादमिक सुरेंदर एस. जोधका ने। ‘अज्ञेय, निर्मल वर्मा’ पर आधारित एक अन्य सत्र में, अक्षय मुकुल और विनीत गिल से संवाद किया प्रज्ञा तिवारी ने। अक्षय मुकुल ने साहित्यकार अज्ञेय साहित्य पर गहन शोध की है और उनकी कई किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। विनीत गिल ने साहित्यकार निर्मल वर्मा पर गहन कार्य किया है। सत्र की शुरुआत में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका विद्या शाह ने अज्ञेय की कविता, ‘चले चलो ऊधो’ को अपनी सम्मोहक आवाज में प्रस्तुत किया। पुरस्कृत लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी ने लेखिका और मौखिक इतिहासकार आँचल मल्होत्रा से ‘इंडिपेंडेंस’ सत्र में संवाद किया| ये सत्र चित्रा के हालिया प्रकाशित उपन्यास, इंडिपेंडेंस पर आधारित था। उपन्यास के बारे में बात करते हुए चित्रा ने कहा, अगर हमें राष्ट्र निर्माण की कहानी ही याद नहीं रहेगी, तो हम आज़ादी का मतलब कैसे समझ पाएंगे।