जयपुर। राजधानी में ऑक्सीजोन विकसित (develop oxygon) करने के लिए जेडीए जापानी पद्धति अपना (JDA adopting Japanese method) रहा है। इसके तहत सेन्ट्रल पार्क में ऑक्सीजोन विकसित किया जाएगा। इसमें करीब आधा हेक्टेयर जमीन में जापानी मियावाकी पद्धति से सघन पौधारोपण (Miyawaki Method Plantation) किया जाएगा। इसकी शुरुआत जेडीए ने सोमवार को पार्क में करीब 200 पौधे लगाकर की। पार्क में आधा हेक्टेयर में जेडीए करीब 10 हजार पौधे लगाएगा।
ऑक्सीजन की जरूरत को देखते हुए जेडीए ने जापानी मियावाकी पद्धति अपनाने का निर्णय लिया। इसके तहत जेडीए शहर के बीच स्थित सबसे बड़े पार्क सेन्ट्रल पार्क में ऑक्सीजोन विकसित करेगा। यहां करीब आधा हेक्टेयर जमीन चिह्नित कर इस तकनीक से पौधारोपण शुरू कर दिया है। इसमें जेडीए राजस्थानी प्राकृतिक पौधे ही लगाएगा, जिसमें नीम, कंरज, गुलमोहर, शीशम, शहतूत, जामुन, सीरस आदि के पौधे अधिक होंगे। इसमें खासबात यह भी होगी कि पड़े पौधों के साथ बीच—बीच में छोटे पौधे भी लगाए जाएंगे, जिससे चिह्नित एरिया में सघन पौधारोपण हो सकेगा। इससे सेन्ट्रल पार्क के करीब आधा हेक्टेयर में ऑक्सीजोन विकिसत हो सकेगा।
यूं लगाएगा जेडीए पौधे
जेडीए के वरिष्ठ उद्यानविज्ञ महेश तिवाड़ी ने बताया कि ऑक्सीजोन विकसित करने के लिए जापानी मियावाकी पद्धति अपना रहे है। इसमें पौधे एक—एक मीटर की दूरी पर लगाए जाएंगे, साथ ही 8 से 10 फुट के पौधों के बीच—बीच में एक से दो फुट के पौधे भी लगाए जाएंगे। इससे सघन पौधारोपण हो सकेगा। आधा हेक्टेयर जमीन पर करीब 10 हजार पौधे लगाए जाएंगे।
जेडीए के वरिष्ठ उद्यानविज्ञ महेश तिवाड़ी ने बताया कि ऑक्सीजोन विकसित करने के लिए जापानी मियावाकी पद्धति अपना रहे है। इसमें पौधे एक—एक मीटर की दूरी पर लगाए जाएंगे, साथ ही 8 से 10 फुट के पौधों के बीच—बीच में एक से दो फुट के पौधे भी लगाए जाएंगे। इससे सघन पौधारोपण हो सकेगा। आधा हेक्टेयर जमीन पर करीब 10 हजार पौधे लगाए जाएंगे।