— आज के दिन यूनेस्को ने जंतर—मंतर को विश्व विरासत सूची में किया शामिल
— 31.07.2010 को विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ जंतर—मंतर
— 11 साल में 81.68 लाख पर्यटकों ने देखा जंतर—मंतर गिर्राज शर्मा
जयपुर। गुलाबी शहर के जंतर—मंतर (Jantar Mantar) को 11 साल पहले विश्व विरासत (World Heritage) का खिताब मिला। यूनेस्को ने 31 जुलाई, 2010 को जंतर—मंतर को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया। विश्व विरासत जंतर—मंतर को इन 11 सालों में देश—दुनिया से आए 81 लाख 68 हजार सैलानियों ने देखा। इस बीच जंतर—मंतर में 11 बदलाव भी हुए। इसमें ज्योतिष के साथ आधुनिकता का भी समावेश हुआ।
— 31.07.2010 को विश्व विरासत सूची में शामिल हुआ जंतर—मंतर
— 11 साल में 81.68 लाख पर्यटकों ने देखा जंतर—मंतर गिर्राज शर्मा
जयपुर। गुलाबी शहर के जंतर—मंतर (Jantar Mantar) को 11 साल पहले विश्व विरासत (World Heritage) का खिताब मिला। यूनेस्को ने 31 जुलाई, 2010 को जंतर—मंतर को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया। विश्व विरासत जंतर—मंतर को इन 11 सालों में देश—दुनिया से आए 81 लाख 68 हजार सैलानियों ने देखा। इस बीच जंतर—मंतर में 11 बदलाव भी हुए। इसमें ज्योतिष के साथ आधुनिकता का भी समावेश हुआ।
जंतर—मंतर 11 साल, 11 बदलाव 1. व्याख्यान केन्द्र — पर्यटकों को 8 मिनट के हिन्दी और अंग्रेजी में आॅडियो—वीडियो जरिए पूरे जंतर—मंतर को दिखाया जाता है, साथ ही जंतर—मंतर के इतिहास से लेकर वर्तमान की गाधा एक ही जगह बैठकर देख सकते है। यंत्रों की कार्यप्रणाली के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
2. यंत्र म्यूजियम — जंतर मंतर में एक म्यूजियम बनाया गया, इसमें जंतर—मंतर के सभी यंत्रों के मॉडल प्रदर्शित किए गए है।
3. शोध कक्ष, अध्ययन की नि:शुल्क सुविधा — शोध कक्ष में जंतर—मंतर का थ्री डी मॉडल है, जिसमें यंत्रों की जानकारी दी गई है। इसमें अध्यनन की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है।
4. सवाई जयसिंह कर रहे पुर्तगाली खगोलज्ञ से चर्चा — महाराजा सवाई जयसिंह तीन पोथियों की गणनाओं के बारे में पुर्तगाली खगोलज्ञ पादरी मेनूअल डी फिगुई रिडो व पेड्रो डा सिल्वा से चर्चा करते हुए सेनिकॉन के मेनिक्विन मौजूद है।
5. वैध कक्ष — यहां कभी पंडित ज्योतिषीय गणना करते थे, इस कक्ष में पंचांग भी तैयार किए जाते थे। इसमें विभिन्न आकाशीय यंत्रों के मॉडल्स है। इसमें पाली म्यूजियम से आए यंत्र रखे गए।
6. सूर्य की गति ज्ञान — षष्ठांश यंत्र को पर्यटकों के लिए खोला गया। अब पर्यटक दोनों षष्ठांश यंत्र देख सकते है। इसके दोनों यंत्रों के बीच बने छिद्रों से ठीक दोपहर 12 बजे करीब 2 मिनट के लिए वृताकार प्रकाश से सूर्य की गति देखी जाती है।
7. ज्योतिष गणना की तीन पांडुलीपी — ज्योतिषाचार्यों की ओर से कभी की गई गणनाओं की तीन पांडुलीपी भी प्रदर्शित की गई है, जो पर्यटक देख सकते है।
8. पाली से आई दूरबीन — इस दूरबीन से सूर्य की गति को देखा जाता था।
9. आॅनलाइन टिकट शुरू — जंतर—मंतर को देखने के लिए पर्यटक अब आॅनलाइन टिकट ले सकते है।
10. पीएसओपी मशीन — जंतर मंतर पीएसओपी मशीन लगाई।
11. 39 कैमरों से नजर — जंतर—मंतर के हर कोने पर 39 कैमरों से नजर रखी जा रही है।
2. यंत्र म्यूजियम — जंतर मंतर में एक म्यूजियम बनाया गया, इसमें जंतर—मंतर के सभी यंत्रों के मॉडल प्रदर्शित किए गए है।
3. शोध कक्ष, अध्ययन की नि:शुल्क सुविधा — शोध कक्ष में जंतर—मंतर का थ्री डी मॉडल है, जिसमें यंत्रों की जानकारी दी गई है। इसमें अध्यनन की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है।
4. सवाई जयसिंह कर रहे पुर्तगाली खगोलज्ञ से चर्चा — महाराजा सवाई जयसिंह तीन पोथियों की गणनाओं के बारे में पुर्तगाली खगोलज्ञ पादरी मेनूअल डी फिगुई रिडो व पेड्रो डा सिल्वा से चर्चा करते हुए सेनिकॉन के मेनिक्विन मौजूद है।
5. वैध कक्ष — यहां कभी पंडित ज्योतिषीय गणना करते थे, इस कक्ष में पंचांग भी तैयार किए जाते थे। इसमें विभिन्न आकाशीय यंत्रों के मॉडल्स है। इसमें पाली म्यूजियम से आए यंत्र रखे गए।
6. सूर्य की गति ज्ञान — षष्ठांश यंत्र को पर्यटकों के लिए खोला गया। अब पर्यटक दोनों षष्ठांश यंत्र देख सकते है। इसके दोनों यंत्रों के बीच बने छिद्रों से ठीक दोपहर 12 बजे करीब 2 मिनट के लिए वृताकार प्रकाश से सूर्य की गति देखी जाती है।
7. ज्योतिष गणना की तीन पांडुलीपी — ज्योतिषाचार्यों की ओर से कभी की गई गणनाओं की तीन पांडुलीपी भी प्रदर्शित की गई है, जो पर्यटक देख सकते है।
8. पाली से आई दूरबीन — इस दूरबीन से सूर्य की गति को देखा जाता था।
9. आॅनलाइन टिकट शुरू — जंतर—मंतर को देखने के लिए पर्यटक अब आॅनलाइन टिकट ले सकते है।
10. पीएसओपी मशीन — जंतर मंतर पीएसओपी मशीन लगाई।
11. 39 कैमरों से नजर — जंतर—मंतर के हर कोने पर 39 कैमरों से नजर रखी जा रही है।