जयपुर

जयपुर में कुलदेवी के रूप में पुज रही हिंगलाज माता

पाकिस्तान (pakisthan) ही नहीं, जयपुर (jaipur) में भी हिंगलाज माता (Hinglaj Mata) का मंदिर हैं। यहां राजापार्क के सिंधी कॉलोनी (rajapark sindhi colony) में माता का मंदिर लोगों लिए आस्था का केन्द्र बना बना हुआ है। यहां रोजाना भक्त माता के दर्शनों के लिए आते हैं। नवरात्र (navratri 2019) में माता के दरबार में लोग पैदल चलकर आते हैं। खासकर यहां कुलदेवी के रूप में माता की पूजा हो रही है।

जयपुरSep 30, 2019 / 07:11 pm

Girraj Sharma

जयपुर में कुलदेवी के रूप में पुज रही हिंगलाज माता

जयपुर में कुलदेवी के रूप में पुज रही हिंगलाज माता
– कुलदेवी के रूप में हो रही पूजा
– राजापार्क के सिंधी कॉलोनी में है मंदिर
जयपुर। पाकिस्तान (pakisthan) ही नहीं, जयपुर (jaipur) में भी हिंगलाज माता (Hinglaj Mata) का मंदिर हैं। यहां राजापार्क के सिंधी कॉलोनी (rajapark sindhi colony) में माता का मंदिर लोगों लिए आस्था का केन्द्र बना बना हुआ है। यहां रोजाना भक्त माता के दर्शनों के लिए आते हैं। नवरात्र (navratri 2019) में माता के दरबार में लोग पैदल चलकर आते हैं। खासकर यहां कुलदेवी के रूप में माता की पूजा हो रही है। जयपुर में रहने वाले सिंधी ब्रह्म खत्री समाज के लोग माता को कुलदेवी के रूप में पूज रहे हैं। इसके साथ कुछ राजपूत समाज के लोग भी माता को कुलदेवी के रूप में मानते हैं।
हिंगलाज माता के भक्तों ने गोविंद मार्ग के पास सिंधी कॉलोनी में एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। इसके लिए स्वामी लीलाशाह धार्मिक ट्रस्ट की स्थापना की गई। मंदिर निर्माण होने पर वर्ष 2000 में 5 मार्च को हिंगलाज माता की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। इस मौके पर पूर्व उपराष्ट्रपति रहे भैरोंसिंह शेखावत भी मौजूद रहे। इसके बाद माता के मंदिर का विकास होता गया। मंदिर में पाकिस्तान के बलूचिस्तान के हिंगलाज माता मंदिर की तस्वीर भी मौजूद हैं, जिसके भी लोग दर्शन करते हैं। इसके साथ ही मंदिर के एक कोने में शिव परिवार के अलावा रामपीर, हनुमानजी और खत्री समाज के स्वामी लीलाधर महाराज भी विराजमान है। शहर में रहने वाले खत्री सिंधी समाज के करीब 1500 परिवार हिंगलाज माता को कुलदेवी के रूप में पूज रहे हैं।
नवरात्र में होते हैं विशेष आयोजन

हिंगलाज माता मंदिर में नवरात्र में विशेष आयोजन होते हैं। यहां छठ का मेला भी भरता हैं, जिसमें शहरभर से लोग पैदल चलकर माता के दर्शनों के लिए आते हैं। मंदिर समिति के सचिव पुरुषोत्तम मंघवाणी बताते हैं कि छठ के मेले में अग्रवाल फार्म के हंसविहार मंदिर, प्रतापनगर के शनिदेव मंदिर, मालवीय नगर के गंगेश्वर मंदिर, ब्रह्मपुरी के बाबा किशनदरबार और जगतपुरा के एनआरआई सर्किल से सैकड़ों भक्त पैदल चलकर पदयात्रा के रूप में मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर पुजारी कैलाश बहुगुणा ने बताया कि नवरात्र में घट स्थापना के साथ ही मंदिर में भजन-सत्संग, महाआरती और डांडिया नृत्य आदि के आयोजन होते हैं। माता के पट सुबह 6 से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5 से रात 9 बजे तक खुले रहते हैं।
51 शक्तिपीठों में से एक है हिंगलाज माता

मां हिंगलाज का मुख्य मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य में हिंगोल नदी के पट पर स्थित है। माता का यह मंदिर हिंगलाज देवी शक्तिपीठ के नाम से ख्यात है। यह हिन्दू देवी सती को समर्पित 51 शक्तिपीठों में से एक है। पाकिस्तान में मुस्लिम समुदाय के लिए देवी आस्था का केन्द्र हैं, वहां ये लोग देवी हिंगलाज मंदिर को नानी का हज कहते हैं।

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