अतिक्रमण और वाहनों की बढ़ते दबाव की वजह से 10 मिनट का रास्ता तय करने में कई बार तो दो घंटे लग जाते हैं। सैलानियों को सुगम राह मिले, इसके लिए न तो नगर निगम प्रयास करता है और न ही यातायात पुलिस कोई ठोस कदम उठाती है। प्रतिदिन 15 हजार से अधिक सैलानी जयपुर में आते हैं।
बाजारों में वाहन निकलना मुश्किल
परकोटे का शायद ही कोई ऐसा बाजार हो, जिसमें से वाहन आराम से निकल सकें। जौहरी बाजार, रामगंज बाजार, किशनपोल बाजार, घाटगेट बाजार से लेकर चौड़ा रास्ता में तो सुबह 10 बजे से रात आठ बजे तक निकलना मुश्किल हो जाता है।
ये हैं हालात
– परकोटे के प्रमुख बाजारों के बरामदों में अस्थायी दुकानें चल रही हैं। नगर निगम और थाना पुलिस कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर वापस लौट जाते हैं।
– निगम ने बाजारों में सड़क किनारे पार्किंग व्यवस्था कर रखी है। जब पार्किंग फुल हो जाती है तो ठेकेदार गाडि़यां सड़क पर ही लगवा देते हैं। जौहरी बाजार, चौड़ा रास्ता और किशनपोल बाजार में सबसे ज्यादा आवाजाही होती है।
योजना धरातल पर ही नहीं आईं
-नो व्हीकल जोन: विश्व विरासत सूची में शामिल होने के बाद परकोटे में हैरिटेज वॉक-वे (किशनपोल बाजार से चौड़ा रास्ता तक) और गोविंददेव जी मंदिर से जंतर-मंतर तक के हिस्से को भी नो व्हीकल जोन करना था। लेकिन भी तक एक भी जोन विकसित नहीं किया गया है।
पहले नक्शा बना, फिर बसा शहर
जयपुर स्थापना से पहले नक्शा तैयार किया गया था। स्थापना के समय जयपुर की आबादी 38 हजार थी। चौड़ी सड़कें, चौपड़ से लेकर हर गली किसी न किसी मुख्य सड़क पर जाकर खुलने वाली खासियत इस शहर की पहचान थी। लेकिन, अब यहां आबादी आठ लाख के पार हो चुकी है। अव्यवस्था की वजह से सड़कें संकरी लगने लगी हैं।
परकोटे की बदहाली के लिए ये जिम्मेदार
-महेश जोशी, जलदाय मंत्री
-रफीक खान और अमीन कागजी, विधायक
-राजेंद्र सिंह शेखावत, आयुक्त, हैरिटेज नगर निगम
-शशिकांत, अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक
-सोहन सिंह नरुका, उपायुक्त, किशनपोल
-कौशल कुमार, उपायुक्त, हवामहल-आमेर
-नूर मोहम्मद, उपायुक्त, आदर्श नगर
टॉपिक एक्सपर्ट
स्मार्ट तरीके से हो निगरानी
अवैध निर्माणों की निगरानी के लिए मुख्य बाजारों से लेकर गलियों में उच्च गुणवत्ता के सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। चौपड़ पर बड़ी एलईडी से इनको जोड़ा जाए। इसके अलावा प्रयोग के तौर पर एक बाजार में चार पहिया वाहनों का प्रवेश निषेध किया जाए। धीरे-धीरे पूरे परकोटे में इसे लागू किया जाए। क्योंकि अब परकोटे के बाहर पार्किंग की दिक्कत नहीं है।
–चंद्र शेखर पाराशर, अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक (सेवानिवृत्त)