यह कट मार्च 2023 में बंद होना था, लेकिन क्लोवर लौफ का काम ही पूरा नहीं हुआ और ट्रैफिक निकालने के लिए कट बंद नहीं किया गया। कट नहीं बंद करने से यहां आए दिन छोटे-मोटे हादसे तो होते ही रहते थे, शुक्रवार को हुई दर्दनाक घटना ने सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए?
अब सरकारी सिस्टम में सारे विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी बाल खुद को बचाने में लग गए हैं। इस कट को बंद करने की मांग उठ रही थी, लेकिन क्लोवर लीफ पूरा नहीं बनने के कारण जनता की मांग दरकिनार ही रही। बगरू उद्योग मित्र के कन्वीनर नवनीत झालानी का कहना है कि वे दो साल से कट को बंद करने की मांग कर रहे हैं।
नाम का ही हाईवे, हालात गली जैसी
अजमेर-किशनगढ़ हाइवे की इस दुर्घटना से कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। जहां हादसा हुआ वहां क्या राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए बने नियमों के तहत सड़क थी। राथ तो यही है कि जयपुर से लेकर बगरू तक यह रोड भले ही राष्ट्रीय राजमार्ग कहलाती ही लेकिन इसके हालात वर्तमान में गली की सड़कों जैसे हैं। जगह-जगह कट होने से कोई भी वाहन कहीं से भी हाईवे पर आ जाता है और किसी जगह से घूमकर निकल जाता है। 2003 में जयपुर से किशनगढ़ के बीच बने इस छह लेन हाईवे से राजस्थान में सड़कों के एक नए युग की शुरुआत हुई थी। लेकिन समय के साथ चौड़ा किया गया और न ट्रैफिक के अनुसार इस पर काम हुआ। हालत यह हो गए हैं कि हाईवे धीरे-धीरे स्थानीय सड़क जैसा दिखने लगा है।
नियमः दो किमी में एक कट, पालना नहीं
नेशनल हाईवे पर कट देने के इंडियन रोड कांग्रेस के नियम बने हुए हैं। इसके तहत एक कट से दूसरे कट के बीच की दूरी कम से कम दो किलोमीटर होनी चाहिए, लेकिन भांकरोटा से आगे रिंग रोड से आने वाले ट्रैफिक के लिए नियम कायदे ताक में रखते हुए वो कट बना दिए गए। यह भी पढ़ें
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दोंनों कट के बीच एक किलोमीटर भी दूरी नहीं है। इस बारे में एनएचएआइ अधिकारियों से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि ट्रैफिक को तो निकालना ही है। जेडीए, ट्रैफिक पुलिस और एनएचएआइ तीनों विभागों के अधिकारियों की सहमति से कट बनाए गए हैं।यह भी पढ़ें