बता दें, इस अग्निकांड में अब तक 11 लोग दम तोड़ चुके हैं, वहीं 30 से ज्यादा घायलों का अस्पताल में इलाज जारी है। इन घायलों में 20 से अधिक मरीज 50 प्रतिशत से अधिक झुलसे हुए हैं। इन सभी मरीजों की हालात गंभीर बताई जा रही है। बता दें, मरने वालों और घायलों की पहचान करना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि चेहरे बहुत बुरी तरह झुलस गए हैं। ऐसी ही एक दर्दनाक कहानी कांस्टेबल अनीता मीणा की है।
अनीता की नौकरी से चलता था घर
दरअसल, महिला कांस्टेबल अनीता मीणा जयपुर जिले के दूदू से ड्यूटी के लिए चैनपुरा जा रही थीं। स्लीपर बस में सफर के दौरान आग लग गई, जिससे वह बस से बाहर नहीं निकल पाईं। अनीता की पहचान उनके पैर में लगे नेल पॉलिश और बिछिया से हुई। उनके निधन से पूरा परिवार और आरएसी बटालियन शोक में डूब गई है। बता दें, अनीता 2016 बैच की कांस्टेबल थीं। उनके भाई बसराम ने बताया कि अनीता के 10 साल की बेटी और 7 साल का बेटा है। उनका परिवार खेती पर निर्भर था, लेकिन अनीता की नौकरी से घर की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी थी। इस हादसे ने न केवल परिवार की आर्थिक मदद करने वाली सदस्य को छीन लिया, बल्कि उनके बच्चों और पति के भविष्य को भी अंधकार में धकेल दिया।
बताया जा रहा है कि हादसे में जान गंवाने वाली अनीता का शव एसएमएस अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया। उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।
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