जयपुर

सुरों से महकेगा ‘जयपुर ध्रुवपद फेस्टिवल’ सुनीता अमीन की गायिकी का चलेगा जादू

कलानगरी जयपुर अक्टूबर माह में ध्रुवपद गायिकी के सुरों से महकेगी। मौका होगा, राजस्थान कला, साहित्य, संस्कृति विभाग और जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित होने वाले ‘जयपुर ध्रुवपद फेस्टिवल’ का।

जयपुरOct 01, 2024 / 12:16 pm

Manish Chaturvedi

जयपुर। कलानगरी जयपुर अक्टूबर माह में ध्रुवपद गायिकी के सुरों से महकेगी। मौका होगा, राजस्थान कला, साहित्य, संस्कृति विभाग और जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित होने वाले ‘जयपुर ध्रुवपद फेस्टिवल’ का। स्वागत जयपुर फाउंडेशन और विश्व ध्रुवपद गुरुकुल निर्देशित और क्यूरेट दो दिवसीय फेस्टिवल का आगाज 5 अक्टूबर को शाम 6 बजे से जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में होगा। फेस्टिवल में देश के जाने-माने ध्रुवपद गायक और वादक श्रोताओं के बीच अपने सुरों का जादू चलाएंगे।
फेस्टिवल के पहले दिन शहर के तेजी से उभरते डागर घराने के शिष्य ध्रुवपद गायक रहमान हरफन मौला का मेडिटेशन पर आधारित ध्रुवपद गायन होगा। उस्ताद सईदउद्दीन खां डागर के शिष्य रहमान हरफन मौला अपनी ध्रुवपद गायिकी में आलाप और गमक का प्रदर्शन करेंगे। कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति के रूप में संगीत विदुषी ध्रुवपद गायिका सुनीता अवनि अमीन का ध्रुवपद गायन होगा। उस्ताद ज़िया फरिदुद्दीन खान डागर की शिष्या सुनीता अवनि अमीन के साथ पखावज पर पं.संजय आग्ले संगत करेंगे। फेस्टिवल के तहत महाराष्ट्र के दिग्गज कलाकार पंडित पुष्पराज कोष्टी और भूषण कोष्टी का सुरबहार वादन होगा। दोनों ही कलाकार सुरबहार पर जुगलबंदी के जरिए श्रोताओं को रिझाएंगे। पहली बार जयपुर के श्रोताओं के बीच पंडित पुष्पराज कोष्टी और भूषण कोष्टी की सुरबहार पर जुगलबंदी होगी।
फेस्टिवल के दूसरे दिन उस्ताद फैय्याज वासिफउद्दीन खान डागर की शिष्या डॉ.गायत्री शर्मा का ध्रुवपद गायन होगा। उनके साथ पखावज पर ऐश्वर्या आर्य संगत करेंगे। इसके बाद डागर घराने की 20वीं पीढ़ी के कलाकार उस्ताद एस.नफीसउद्दीन खान डागर और उस्ताद एस.अनीसउद्दीन खान डागर का ध्रुवपद गायन होगा। डागर ब्रदर्स के नाम से मशहूर नफीसउद्दीन खान डागर और अनीसउद्दीन खान डागर अपने डागर घराने की दुर्लभ बंदिशों को प्रस्तुत करेंगे। उनके साथ पखावज पर प्रदेश के मशहूर पखावज वादक पं.प्रवीण कुमार आर्य संगत करेंगे। अतं में कर्नाटक की रुद्रवीणा वादक विदूषी ज्योति हेगड़े का रुद्रवीणा वादन होगा। उनके साथ पखावज पर पं.संजय आग्ले संगत करेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत में ध्रुवपद गायिकी को सबसे विशिष्ट और प्राचीन शैली माना गया है।सामवेद की ध्रुवपद गायिकी में यज्ञ, अनुष्ठान और हवन में गाए जाने वाले मंत्र शामिल होते हैं। फेस्टिवल के दौरान दो दिनों तक कर्नाटक, मुंबई, महाराष्ट्र और जयपुर के जाने-माने कलाकार अपने गायन के माध्यम से देवी-देवताओं का गुणगान करेंगे। राजस्थान में ध्रुवपद गायिकी विकसित करने का श्रेय जयपुर के पूर्व शासक सवाई जयसिंह द्वितीय के दरबारी गायक बाबा बहराम खान डागर को जाता है। पिछले कई सालों में स्वागत जयपुर फाउंडेशन और विश्व ध्रुवपद गुरुकुल की ओर से शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। जिन्हें संगीत रसिकों की ओर से भरपूर सराहा गया है।

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