दरअसल, यह स्थिति वैशाली नगर में जमीन के भाव आसमान छूने के कारण पैदा हुई। यह जमीन जेडीए ने राजस्थान स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को रियायती दर पर दी थी। अनुबंध पर गौर करें तो 44 रुपए प्रति गज में यह जमीन दी गई थी और अब इस जमीन की अनुमानित कीमत दो लाख रुपए प्रति गज बताई जा रही है।
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मुख्य सड़क के पार्किंग स्थल को डेढ़ से दो फीट ऊंचा कर दिया गया। कुछ लोगों ने अपने शोरूम के कर्मचारियों के दुपहिया वाहनों के लिए रैम्प बना रखा है तो कुछ ने सीढ़ियां ही बनाई हैं। ऐसे में जब इन शोरूम पर ग्राहक अपनी गाड़ियों को सड़क पर खड़ा करके आते हैं। ज्यादातर जगह पार्किंग स्पेस को गेट लगाकर बंद तक कर रखा है।
अनुमोदित नक्शे और मौका स्थिति देखकर साफ पता चलता है कि जेडीए अधिकारियों ने आंखें मूंदकर रखीं और आरएसईबी ऑफिसर्स ग्रुप हाउसिंग कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के सदस्यों ने मनमानी की। न सिर्फ बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन किया, बल्कि दो भूखंडों के बीच के रास्ते पर भी मिलकर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। कुछ जगह तो पार्किंग की जगह कियोस्क तक लगा दिए। एकाध जगह तो लिफ्ट तक लगा दी गई।
करीब 35 वर्ष पहले जेडीए ने ग्रुप हाउसिंग की 19614 वर्ग गज जमीन 44 रुपए प्रति गज में आरएसईबी ऑफिसर्स ग्रुप हाउसिंग कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी को आवंटित की। शर्तों में जेडीए ने लिखा कि जमीन पर केवल फ्लैट ही बनाए जा सकेंगे और व्यावसायिक निर्माण की इजाजत नहीं होगी और न ही वाणिज्यिक एवं लाभ कमाने की दृष्टि से इसका उपयोग किया जा सकेगा।
मुख्य सड़क की ओर देखने वाले ज्यादातर भूखंडों में व्यावसायिक गतिविधि हो रही है। निर्माण का मूलस्वरूप भी बदल गया।
शर्तों में से किसी एक का भी उल्लंघन करने की स्थिति में प्राधिकरण बिना नोटिस दिए भूंखड पर कब्जा ले सकेगा।
ज्यादातर भूखंडों के निर्माण में शर्तों का उल्लंघन हुआ है। लेकिन, जेडीए के जोन सात में जो भी अधिकारी रहे, उनको यह नजर नहीं आया।
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मामला मेरी जानकारी में नहीं है। यदि पार्किंग की जमीन पर अवैध रूप सेे कब्जा किया गया है तो उसे अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा। साथ ही अनुमोदित नक्शे के विपरीत कुछ हो रहा है तो नियमानुसार कार्रवाई जाएगी। -रामकुमार वर्मा, जोन उपायुक्त