डीसीपी ऋचा तोमर ने बताया कि फेंकन मंडल और आरोपी नंदलाल शर्मा 9 फरवरी को घर पर अकेले थे। इसी दिन वारदात से पहले नंदलाल ही तबयीत सही नहीं होने पर फेंकन को हॉस्पिटल में दिखाकर लाया था। घर लौटने के बाद फेंकन रसोई में बैठकर शराब पीने लगा और पड़ोस के कमरे में किराए से रहने वाला नंदलाल को गाली देने लगा। नंदलाल रसोई में गया और फेंकन की रसोई से चाकू उठाकर उसका गला काट दिया।
फेंकन बचने के लिए घर के बाहर सड़क पर दौडऩे लगा। नंदलाल भी डरकर उसे पकडऩे के लिए पीछे भागा। तब नंदलाल को सड़क पर पीछे दौड़ते देखकर लहूलुहान फेंकन सामने वाले घर में मदद के गुहार लगाते हुए घुस गया। लेकिन आरोपी भी उसके पीछे-पीछे घर में घुस गया और उसे पकड़कर बाहर सड़क पर ले आया। सड़क पर फेंकन उसके चंगुल से छूटने का प्रयास किया, लेकिन आरोपी नंदलाल ने फेंकन को सड़क पर गिरा दिया। काफी खून बह जाने से कुछ देर बाद तड़पते हुए फेंकन ने दम तोड़ दिया।
लोगों के सामने आरोपी नंदलाल ऐसा प्रतित कर रहा था, जैसे वह फेंकन की जान बचाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन पूछताछ में उसने हत्या करना कबूल लिया। गौरतलब है कि 9 फरवरी को घटना के बाद पुलिस मामला आत्महत्या का बता रही थी। लेकिन फेंकन मंडल के भाई ने हत्या का मामला दर्ज करवाया, तब पुलिस अनुसंधान में मामला हत्या का निकला।