जयपुर

कोविड-19: सब मॉडल फेल, फिर काम आया पुलिस का प्रयोग, रामगंज में सर्वे व सैम्पल में पाई सफलता

केन्द्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर निचले तबके तक हर कोई समाज विशेष को कोरोना वायरस के संक्रमण में टारगेट कर रहा था।

जयपुरMay 09, 2020 / 07:59 pm

Kamlesh Sharma

केन्द्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर निचले तबके तक हर कोई समाज विशेष को कोरोना वायरस के संक्रमण में टारगेट कर रहा था।

शैलेंद्र शर्मा/जयपुर। केन्द्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर निचले तबके तक हर कोई समाज विशेष को कोरोना वायरस के संक्रमण में टारगेट कर रहा था। कई तरह की अफवाह भी थीं, एसे वक्त पर जयपुर के रामगंज पर सरकार का भीलवाड़ा मॉडल भी काम नहीं कर रहा था। मेडिकल टीम के क्षेत्र में पहुंचते ही लोग घरों के दरवाजे बंद कर लेते। मुश्किल के इस दौर में जयपुर पुलिस ने अनूठा सामाजिक प्रयोग किया, जिसकी बदौलत ही रामगंज में सर्वे और सैंम्पलिंग में सफलता पा सकें।

टीम-9 की सूझबूझ ने खुलवाए बंद दरवाजे
रामगंज में गत 26 मार्च को जब एक कोरोना पॉजिटिव की सूचना पर पुलिस और मेडिकल टीमें क्षेत्र में पहुंची, लेकिन टीमों को देखकर लोगों ने घरों के दरवाजे ही बंद कर लिये। जांच में सहयोग के लिए टीमों ने काफी प्रयास किये, लेकिन उनकी एक ना चली। कई स्थानों पर तो टीम को बुरा-भला कहकर भगा दिया गया। जांच नहीं होने की वजह से वहां के निवासियों की जान खतरे में आ गई। भीलवाड़ा मॉडल यहां फेल होता नजर आया। इस पर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव और एडीसीपी अजयपाल लांबा ने सूझबूझ दिखाते हुए सामाजिक पुलिसिंग की योजना बनाई। एडीसीपी मेट्रो नाजिम अली खान के अगुवाई में टीम—9 गठित की गई। जिसमें पूरे कमिश्नरेट में तैनात अलग—अलग जगह से उन जांबाज अफसरों को शामिल किया, जिनका क्षेत्र में सामाजिक रूप से प्रभाव भी था। यह योजना कारगर रही और टीम के इन अफसरों ने ही बंद दरवाजों को खुलवाकर जांच का काम आगे बढ़ाया।
भरोसे के लिए खुद ने दिये सैम्पल
रामगंज क्षेत्र के घाटगेट चौकडी और रामचंद चौकडी में सबसे ज्यादा केस आए थे। हर मोहल्ले में जाने वाली मेडिकल टीम के साथ पुलिस की टीम-9 का एक साथी घर-घर जाकर समुदाय के लोगों को समझाने लगा। जिस घर में कोई भी संदिग्ध मिलता उसे घर से बाहर निकालकर मेडिकल टीम को सुपुर्द कर देते। इसके बाद वहां रहने वाले लोगों को चिन्हित कर उनकी सूची बनाकर उनको क्वांरटीन कर देते। लोगों का विरोध तो इस टीम ने भी देखा, लेकिन टीम के सदस्यों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए समुदाय के लोगों के सामने खुद के सैम्पल देने लगे। एक बार तो मेडिकल टीम भी अवाक् रह गई थी। जब पुलिस अधिकारियों को सैम्पल देते हुए लोगों ने घरों की खिड़कियों व छतों से देखा तो लोगों में परिवर्तन होने लगा। अब लोग समझदार और जागरुक नागरिक की तरह बाहर आए और एक के बाद एक अपना सैम्पल देने लगे।
कोई रेस्ट नहीं, देर रात्रि तक क्षेत्र में ड्यूटी
रामगंज को बचाने में जुटी इस टीम—9 के किसी भी सदस्य ने 26 मार्च से अभी तक एक दिन का भी रेस्ट नहीं लिया हैं। यह टीम सुबह 9 बजे मेडिकल टीम के साथ क्षेत्र में पहुंचती है। मेडिकल टीम तो सर्वे करके 3 बजे चली जाती, लेकिन पुलिस टीम देर रात्रि तक क्षेत्र में ही रहकर समझाइश और दूसरी व्यवस्थाओं के जरिये लोगों को जोड़ने का काम करती रही। टीम—9 के सदस्यों ने ना सिर्फ मेडिकल टीम के सर्वे की प्रश्नावली बदल दी, बल्कि मोटिवेशन और समझाइश के वीडियो बनाकर क्षेत्र के लोगों को भेजे, जिससे स्थानीय लोग जांच में मदद के लिए सामने आने लगे। बाद में इस पुलिस टीम के साथ एसडीआरएफ की दो कंपनियों को लगा दिया गया।

यह थी टीम—9
इस टीम में डीसीपी पश्चिम में तैनात एसीपी इस्लाम खान,एसीपी ट्रैफिक आहद खान, ट्रैफिक सीआई मोहम्मद शफीक,थानाधिकारी शिप्रापथ खलील अहमद, अपराजिता केंद्र से सीआई सीमा पठान,रिजर्व पुलिस लाइन से एएसआई अब्दुल जब्बार खान,थाना गांधीनगर से एसआई हुसैन अली और आरएसी बटालियन से कांस्टेबल कन्हैयालाल हैं।
रामगंज क्षेत्र में कोरोना को लेकर कई भ्रम और अफवाहों की वजह से लोगों में भय था। जिसके चलते वे मेडिकल टीम का सहयोग नहीं कर रहे थे। इसलिए अपना प्रभाव रखने वाले कुछ जांबाज अफसरों को लेकर टीम—9 बनाई और जुट गए कोविड—19 से जंग में। जिसके चलते सर्वे और सैम्पल लेने में सफलता मिल पाई।
आनन्द श्रीवास्तव,पुलिस कमिश्नर, जयपुर पुलिस

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