जयपुर

राजस्थान: क्या दो ‘राम’ को संकट से बाहर निकाल पाएगी BJP? जानें नड्डा-पूनिया मुलाक़ात के मायने!

राष्ट्रीय अध्यक्ष से प्रदेशाध्यक्ष को मिला ‘ख़ास टास्क’! निगम घूसखोरी प्रकरण में मजबूती से पक्ष रखेगी भाजपा, दिल्ली में हुआ राजाराम और निंबाराम के ‘बचाव’ के हर पहलू पर मंथन, नड्डा से आगे की रणनीति, तो यादव से कानूनी पहलुओं पर हुई चर्चा, प्रकरण में भाजपा-आरएसएस नेता हैं नामजद, बचाव करना बना है चुनौती
 

जयपुरJul 03, 2021 / 11:52 am

Nakul Devarshi

जयपुर।

जयपुर ग्रेटर नगर निगम में बकाया भुगतान की एवज में कथित कमीशनखोरी का मामला भाजपा के लिए गले की फांस बना हुआ है। नौबत ये आई हुई है कि इस प्रकरण के कटघरे में आए दो ‘राम’ को बचाने की जुगत में पार्टी अपना पूरा दमखम लगाती नज़र आ रही है। अब तो इस सिलसिले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया को इस ‘मिशन’ पर जुट जाने का टास्क दे दिया है।


गौरतलब है कि ग्रेटर नगर निगम में कमीशनखोरी प्रकरण में द जांच के दायरे में हैं। निलंबित मेयर पति राजाराम और आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक निंबाराम के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है। राजाराम को जहां एसीबी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है तो वहीं निंबाराम को भी इसी तरह की कार्रवाई का कभी भी सामना करना पड़ सकता है।


पूनिया को मिला ‘ख़ास’ टास्क !
सूत्रों की माने तो नई दिल्ली में शनिवार को नड्डा संग पूनिया की मुलाक़ात के दौरान चर्चा का मुख्य फोकस ही जयपुर ग्रेटर नगर निगम में कमीशनखोरी प्रकरण रहा। बताया जा रहा है कि इस मंत्रणा के दौरान डॉ पूनिया ने पहले पूरे प्रकरण को लेकर मौजूदा स्थिति और विभिन्न पहलुओं के बारे में अवगत करवाया। इसके बाद नड्डा ने प्रकरण में नामजद निलंबित मेयर पति व भाजपा नेता राजाराम और आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम के बचाव में हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए।

 

भूपेंद्र यादव ने दी ‘कंसल्टेंसी’
नगर निगम में कमीशनखोरी प्रकरण पर नड्डा से चर्चा करने से पहले दिल्ली पहुंचे डॉ पूनिया ने राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाक़ात की। इन दोनों नेताओं के बीच भी चर्चा का मुख्य विषय निगम में घूसखोरी प्रकरण ही रहा। यादव-पूनिया ने खासतौर पर प्रकरण के कानूनी पहलुओं पर संवाद किया और आगे की रणनीति और संभावनाओं पर मंथन किया। इससे पहले पूनिया प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से भी मुलाक़ात करके इस प्रकरण पर चर्चा कर चुके है।

 

आसान नहीं बचाव में उतरना
निगम घूसखोरी प्रकरण के बाद भाजपा और आरएसएस की खासी किरकिरी हो रही है। आरोपी राजाराम और निंबाराम के पक्ष में उतरकर उनका बचाव करना भाजपा के लिए आसान नहीं है। चौतरफा घिरे होने के बाद भी अपने नेताओं को पाक साफ़ करार देना पार्टी के लिए चुनौती भरी कवायद है।

 

एसीबी की पड़ताल और कार्रवाई के बीच फिलहाल पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं की आक्रामक बयानबाज़ी के सहारे ही इस ‘फ्रंटफुट’ पर खेलने की कोशिश में है। वहीं न्यायिक राहत पाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं।

 

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ‘अंडर प्रेशर’ !
निलंबित मेयर के पति राजाराम की गिरफ्तारी के बाद सबसे ज़्यादा प्रेशर में प्रदेशाध्यक्ष डॉ पूनिया को माना जा रहा है। दरअसल, सौम्या गुर्जर की मेयर पद पर नियुक्ति में डॉ पूनिया की ही ख़ास भूमिका रही थी। दो उम्मीदवारों में से एक का चुनाव करने की प्रक्रिया में डॉ पूनिया ने ही सर्वसम्मति बनाकर फैसला लिया था।

 

अब कथित कमीशनखोरी का प्रकरण सामने आने के बाद सौम्या गुर्जर मेयर पद से निलंबित हो चुकी हैं, जबकि उनके पति राजाराम एसीबी की गिरफ्त में हैं। ऐसे में पार्टी गलियारों में पूनिया के ‘चुनाव’ को लेकर भी चर्चाएं तेज़ हैं। इन सब स्थितियों और इनसे बाहर निकलने की कवायद के बीच पूनिया को ‘अंडर प्रेशर’ माना जा रहा है।

Hindi News / Jaipur / राजस्थान: क्या दो ‘राम’ को संकट से बाहर निकाल पाएगी BJP? जानें नड्डा-पूनिया मुलाक़ात के मायने!

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.