जयपुर

फिसड्डी रहने के बाद दोनों नगर निगम चेते, अब है नम्बर एक बनने की ख्वाहिश

स्वच्छ सर्वेक्षण – 2023 के परिणाम में फिसड्डी रहने के बाद राजधानी की दोनों शहरी सरकारों ने अगले सर्वेक्षण की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

जयपुरJan 28, 2024 / 10:22 am

Omprakash Dhaka

Jaipur News : स्वच्छ सर्वेक्षण – 2023 के परिणाम में फिसड्डी रहने के बाद राजधानी की दोनों शहरी सरकारों ने अगले सर्वेक्षण की तैयारियां शुरू कर दी हैं। दोनों नगर निगम की महापौर और आयुक्त सक्रिय नजर आ रहे हैं, लेकिन धरातल पर अभी बहुत काम होना है। सफाई के अलावा कचरा पात्र साफ करने से लेकर ग्रीनरी और दीवारों पर पेंटिंग के साथ-साथ स्वच्छता के नारों को लिखने के भी अंक तय हैं। स्कूली बच्चों से लेकर जनभागीदारी बढ़ाने पर अब तक दोनों ही नगर निगम की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। शहर में कई जगह तो स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 ही लिखा है। इससे यह भी साबित होता है कि निगम अधिकारी खराब परिणाम के बाद भी बेहतरी की ओर कदम नहीं बढ़ा रहे हैं।

 

अब तक यहां कोई काम नहीं
आवासीय कॉलोनी में एक बार और बाजारों-व्यावसायिक क्षेत्रों में दिन में दो बार झाड़ू लगाने का प्रावधान किया है।
पुराने शहर का सौंदर्यीकरण के अलावा फ्लाईओवर और सार्वजनिक स्थलों पर पेंटिंग करनी होगी।
दीवारों पर पोस्टर नजर नहीं आएं ताकि एकरूपता दिखे और अवैध होर्डिंग-बैनर भी नहीं दिखने चाहिए।



कचरागाह भी करने होंगे खत्म
राजधानी में तीन बड़े कचरागाह हैं। इनको खत्म करने का काम निगम शुरू नहीं कर पाया है, जबकि इंदौर और सूरत कचरागाहों को सुंदर बना चुके हैं। वहां पार्क और खेल मैदान तक बन चुके हैं, लेकिन यहां के कचरागाह के पास से निकलना मुश्किल हो जाता है।

 

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एक-एक अंक महत्वपूर्ण
90 फीसदी से अधिक गीला-सूखा उठाने और हानिकारक कचरा अलग करने पर 300 अंक निर्धारित हैं, लेकिन दोनों में से एक भी निगम को यह अंक मिलते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक का भी उपयोग शहर में धड़ल्ले से हो रहा है। सब्जी मंडी से लेकर बाजारों में प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग नियमित रूप से हो रहा है। इसकी वजह से सर्वेक्षण के दौरान अंकों में कटौती तय है। सर्वेक्षण में 150 अंक निर्धारित किए गए हैं।
विवाह स्थल, शिक्षण संस्थान, व्यावसायिक कार्यालय से लेकर होटल, रेस्टोरेंट और होटल को खुद कचरे से खाद बनाने की मशीन लगानी होगी। इसके 100 अंक तय किए हैं, लेकिन शहर में इस नियम की पालना 20 फीसदी ही हो रही है।

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