स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 2.41 करोड़ रुपए खर्च कर इस हैरिटेज इमारत को संवारा गया। इसके लिए इमारत का जीर्णोद्धार करने के साथ फसाड़ वर्क किया गया। दो मंजिला इस इमारत में तीन तल बने है, जिनमें प्रथम तल पर 3 बड़े हॉल है, वहीं दूसरे व तीसरे तल पर 4—4 हॉल बने हुए है। छत पर भी बरामदें बने हैं, इन सबको संवारा गया। इमारत को संवारने का काम अप्रेल 2018 में पूरा कर दिया गया। हालांकि इस बीच नवंबर 2017 में इमारत को विरासत संग्रहालय नाम देकर स्मार्ट सिटी ने पुरातत्व विभाग को सौंप दिया। तब नामचीन कलाकारों की कलाकृतियों को यहां अस्थाई प्रदर्शित किया गया। इसके बाद यह इमारत खाली पड़ी है। अब इसका उपयोग किसी भी गतिविधि के लिए नहीं किया जा रहा है।
इसलिए खास है यह इमारत
जयपुर शहर को 2019 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर शहर की सूची में शामिल किया, इसमें इस इमारत का भी योगदान रहा। यूनेस्को की टीम ने इस इमारत को भी जीवंत हैरिटेज माना।
इमारत को लेकर केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने 27 जुलाई 2018 को पुरस्कृत किया। इंडिया स्मार्ट सिटीज प्रतियोगिता में संस्कृति और अर्थव्यवस्था श्रेणी में यह पुरस्कार मिला।
पहले इस इमारत में महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट्स चलता था, तब यह कला और शिल्प सीखने का केंद्र रहा।
जयपुर शहर को 2019 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर शहर की सूची में शामिल किया, इसमें इस इमारत का भी योगदान रहा। यूनेस्को की टीम ने इस इमारत को भी जीवंत हैरिटेज माना।
इमारत को लेकर केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने 27 जुलाई 2018 को पुरस्कृत किया। इंडिया स्मार्ट सिटीज प्रतियोगिता में संस्कृति और अर्थव्यवस्था श्रेणी में यह पुरस्कार मिला।
पहले इस इमारत में महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट्स चलता था, तब यह कला और शिल्प सीखने का केंद्र रहा।
इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा
पूर्व अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक चन्द्रशेखर पाराशर का कहना है कि विरासत को जानने के लिए म्यूजियम अच्छा माध्यम है। म्यूजियम बनाने के साथ आर्ट गैलेरी के माध्यम से स्थानीय कला व क्राफ्ट को भी यहां प्रदर्शित किया जा सकता है। इससे टूरिज्म और इकोनॉमी दोनों को बढ़ावा मिलेगा। राजस्थान के अन्य म्यूजियम की ऑनलाइन झलक यहां दिखाई जा सकती है।
पूर्व अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक चन्द्रशेखर पाराशर का कहना है कि विरासत को जानने के लिए म्यूजियम अच्छा माध्यम है। म्यूजियम बनाने के साथ आर्ट गैलेरी के माध्यम से स्थानीय कला व क्राफ्ट को भी यहां प्रदर्शित किया जा सकता है। इससे टूरिज्म और इकोनॉमी दोनों को बढ़ावा मिलेगा। राजस्थान के अन्य म्यूजियम की ऑनलाइन झलक यहां दिखाई जा सकती है।