जलदाय इंजीनियरों के अनुसार शहर में अभी 3300 नलकूप शहर की 10 लाख की आबादी की प्यास बुझा रहे हैं। जलदाय इंजीनियर यह दावा जरूर कर रहे हैं कि सभी नलकूप सही हैं और पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है। लेकिन यह दावा सटीक नहीं बैठता क्योंकि शहर तो पहले से ही पानी के अत्यधिक दोहन के मामले में डॉर्क जोन में आ चुका है। ऐसे में साल में 200 से 300 नलकूप तो जल स्तर नीचे जाने पर सूख जाते हैं।
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शहर में खोदे गए अधिकांश नलकूप सूखने के कगार पर हैं। विभाग के पास तो अब भी सही आंकड़ा नहीं है कि कितने नलकूप सूखने की स्थिति में आ गए हैं। यह जरूर कहा जा रहा है कि नलकूपों से प्रतिदिन 1 करोड़ 75 लाख लीटर पानी की सप्लाई होती है। अगर नलकूप सूख भी जाते हैं तो बीसलपुर सिस्टम से नलकूप के पानी के बराबर का पानी लिया जा सकेगा।
शहर के लिए बीसलपुर बांध में 11 टीएमसी पानी आरक्षित है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से शहर के लिए 8 टीएमसी पानी अतिरिक्त आरक्षित कर दिया है। लेकिन इस पानी को लेने की तैयारियों का खाका अभी तक जमीन पर नजर नहीं आया है। सिर्फ इंजीनियरों की बातों में ही सामने आ रहा है कि नलकूप अगर सूख जाते हैं तो भी शहर में पानी की कमी नहीं आएगी।