जयपुर

जयपुर की सेंट्रल जेल को शिफ्ट कर आखिर इस जमीन क्या बनाना चाहती थी कांग्रेस सरकार, पढ़िए खबर

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय बनाए गए 19 जिलों में डिस्ट्रिक्ट जेल बनाई जाएगी, ताकि जयपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों का दबाव कम हो सके। सेंट्रल जेल को शिफ्ट करने की फिलहाल सरकार की कोई मंशा नहीं है। कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विधानसभा के प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक रफीक खान के प्रश्न पर यह जवाब दिया।

जयपुरJan 30, 2024 / 02:37 pm

Umesh Sharma

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय बनाए गए 19 जिलों में डिस्ट्रिक्ट जेल बनाई जाएगी, ताकि जयपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों का दबाव कम हो सके। सेंट्रल जेल को शिफ्ट करने की फिलहाल सरकार की कोई मंशा नहीं है। कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विधानसभा के प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक रफीक खान के प्रश्न पर यह जवाब दिया। उन्होंने यह भी कहा कि आपकी सरकार के कार्यकाल में आपकी मंशा थी कि यहां ज्वेलरी हब बनाया जाए, लेकिन पांच साल में इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया।

खींवसर ने कहा कि सेंट्रल जेल की कुल क्षमता 1173 कैदियों की है। अभी जेल में 401 एक कैदी ऐसे हैं, जिन्हें सजा मिल चुकी है, जबिक 1181 कैदी अंडर ट्रायल हैं। इस तरह 1550 से ज्यादा कैदी यहां हैं। हालांकि यहां कैदियों का दबाव कम करने के लिए 700 कैदियों की क्षमता की विशिष्ट जेल दौसा जिले में बनाई गई है। सेंट्रल जेल से भी कुछ कैदियों को यहां शिफ्ट किया गया है। इसी तरह महिला जेल की क्षमता 250 कैदियों की है, यहां अभी 95 महिला कैदी हैं। उन्होंने कहा कि साथ बड़े शहरों में भी कैदियों को शिफ्ट किया जाएगा।

स्कूली को क्रमोन्नत करने की घोषणा

आहोर विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों को क्रमोन्नत करने के सवाल पर शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने कहा कि प्रस्ताव मिलने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार ने स्कूलों को क्रमोन्नत नहीं किया। इस वजह से विधायक को यह प्रश्न पूछना पड़ा है। दिलावर ने सदन में ही दिलावर ने सदन में ही प्राथमित विद्यालय आलावा सी को क्रमोन्नत करने की घोषणा की। इस पर जूली ने कटाक्ष किया कि अगर हमारी सरकार ने क्रमोन्नयन नहीं किया तो आप भी नॉर्म्स के अनुसार कार्रवाई की बात कह रहे हैं। फिर आपकी और हमारी सरकार में फर्क क्या रहा ?

73 गांवों को उनका हक दिलाए सरकार

निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने बाड़मेर-जैसलमेर के 73 गांवों में 1981 के नोटिफिकेशन का मामला स्थगन के जरिए उठाया। उन्होंने कहा कि इस नोटिफिकेशन के चलते 73 गांवों के अधिकार छीन लिए गए। वहां के लोगों को केसीसी तक नहीं मिलती है। इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं नाम की कोई चीज नहीं है। सरकार से मांग है कि तीन मंत्रियों की कमेटी बनाकर उस क्षेत्र का दौरा करना चाहिए। वहां की स्थिति को देखना चाहिए। ताकि वहां के हालातों के आधार पर इन गांवों के अधिकारी फिर से बहाल किए जाने चाहिए।

 

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