मेरी जिप्सी चांदपोल गेट के पास पहुंची ही थी कि हनुमान मन्दिर के पास एक विस्फोट हुआ। जिप्सी से कुछ दूर आगे चल रही होंडा सिटी कार में सवार परिवार भी इसी विस्फोट की चपेट में आया था। विस्फोट से कार सवार परिवार की मौत हो गई थी। यह वही घटना स्थल था, जहां 32 लोगों की जान गई। जहां नजर गई वहीं लहूलुहान लोग दिखाई पड़ रहे थे। उस समय प्राथमिकता घायलों को अस्पताल पहुंचाने की थी। ऐसा पहली बार देखा जब चारों तरफ चित्कार सुनाई पड़ रही थी। जैसे-जैसे आगे बढ़े आतंक का घिनौना रूप दिखता गया। लहूलुहान सड़कें बता रही थी कि आतंकियों ने कितने लोगों को अकाल मौत का शिकार बनाया है।
बचाव कार्य के दौरान ही सूचना मिली कि चांदपोल में एक जिंदा बम अभी साइकिल के टंगा है। उस समय पूरी जिम्मेदारी हमारे बम निरोधक दस्ते पर आ गई। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई और अपनी जान की चिंता किए बिना बम को निष्क्रिय करने में जुट गए। बम के निष्क्रिय होने तक वहां उपस्थित हर किसी की सांस अटकी रही। दस्ते ने साहस और दक्षता दिखाते हुए विस्फोट होने से पहले ही बम को निष्क्रिय कर दिया। बम विस्फोट के मामलों की जांच के लिए स्पेशल टीम गठित की गई।
-राघवेन्द्र सुहासा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (शहर उत्तर)
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