दिव्यांगों को भी नहीं छोड़ते कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि करीब डेढ़ माह पहले सूचना मिली कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में दिव्यांगों को दी जाने वाली सुख सुविधा (शेल्टर होम, परिवहन, अस्पताल में इलाज करवाने सहित कई कार्यों के लिए केयर टेकर व अन्य संसाधन) के लिए ठेकेदार जयनारायण मीणा को एक वर्ष की बजाय दो वर्ष का एक साथ टेंडर 19 मई को दिया गया है। एक वर्ष का टेंडर 2.10 करोड़ रुपए का था, लेकिन एक साथ दो वर्ष के लिए 4.20 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया। इसमें रिश्वत का खेल चलता है। मामले की जांच एएसपी बजरंग सिंह शेखावत को सौंपी गई। शेखावत की टीम ने बताया कि सूचना देने वाले ने कहा कि इस विभाग में दिव्यांगों को भी नहीं छोड़ा है। अनुसंधान के दौरान कई बार टीम ठेकेदार पर निगरानी रखी। सीनियर अकाउंटेंट धर्म सिंह आरोपी ठेकेदार जयनारायण मीणा से एक लाख रुपए रिश्वत मांग रहा था।
कई बाद दिया गच्चा, फिर बिना बताए पहुंचा एसीबी सूत्रों के मुताबिक आरोपी ठेकेदार सीनियर अकाउंटेंट को आज कल में रुपए देने की कहकर कई बार गच्चा दिया। आरोपी पर एसीबी की निगरानी थी। आरोपी ठेकेदार सोमवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के पास सिविल लाइंस फाटक पर पहुंच गया। यहां से सीनियर अकाउंटेंड से संपर्क कर कहा कि 50 हजार रुपए लेकर आया है और दफ्तर में आने के लिए कहता है। लेकिन आरोपी सीनियर अकाउंटेंड ने उसे दफ्तर में आने से रोक दिया और खुद ही रिश्वत के रुपए लेने पहुंच गया।
टेंडर देने का क्या प्रोसेसर – एसीबी जांच करेगी की एक वर्ष का टेंडर एक साथ दो वर्ष के लिए कैसे जारी किया गया – टेंडर जारी करने का प्रोसेसर क्या है, रिश्वत में और किसकी मिलीभगत है