जयपुर

कानूनी प्रावधानों के चलते सुमित ही ले पाए दीक्षा, राठौड से बने सुमित मुनि

आचार्य रामलालजी के सानिध्य में जैन भगवती दीक्षा ग्रहण की

जयपुरSep 23, 2017 / 01:47 pm

pushpendra shekhawat

जयपुर / सूरत. घोडदौड़ रोड स्थित वृंदावन पार्क में शनिवार को सिर्फ सुमित राठौड़ ने आचार्य रामलालजी के सानिध्य में जैन भगवती दीक्षा ग्रहण की। जबकि कानूनी प्रावधानों के चलते उनकी पत्नी अनामिका राठौड़ ने फिलहाल दीक्षा नहीं ली।
 

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नीमच के करोड़पति व्यापारिक घराने से ताल्लुक रखने वाले सुमित, उनकी पत्नी अनामिका व परिवार के सदस्य सुबह वृंदावन पार्क में स्थित आचार्य रामलालजी के चार्तुमास प्रवचन पंडाल में पहुंचे। सुबह साढ़े सात बजे आचार्य ने परम्परा अनुसार दीक्षा के लिए सुमित, उनके परिवार जनों व मौजूद सैकड़ो जैन धर्मावलंबियों से अनुमति ली। साधु वेष धारण कर मंच पर पहुंचे सुमित के सिर पर हाथ रख कर मंत्र जाप किया। उसके बाद उन्होंनेे केश लोच किया। उसके बाद सुमित राठौड़ को आचार्य ने सुमित मुनि नाम दिया। दीक्षा विधी के दौरान महिलाओं ने पारंम्परिक गीत गाए। मौजूद लोगो ने आचार्य रामलालजी म.सा. व सुमित मुनि के जयकारे लगाए।
 

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कार्यक्रम में गुजरात ही नहीं, मध्यप्रदेश, राजस्थान और देश के अन्य राज्यों से हजारों जैन धर्मालंबी सूरत आए थे। दीक्षा कार्यक्रम से पूर्व आचार्य रामलालजी का प्रवचन कार्यक्रम हुआ। बेहद सादे ढंग से दीक्षा विधी संम्पन्न की गई। साधुमार्गी स्थानकवासी परम्पंरा के अनुसार कार्यक्रम स्थल पर विद्युत उपकरणों का तक का उपयोग नहीं किया गया।
 

 

मध्यरात्रि बाद किया गया कार्यक्रम में फेरबदल
साधुमार्गी जैन संघ के संयोजक इन्द्रचंद वैद्य ने बताया कि सुमित व उनकी पत्नी अनामिका दोनों दीक्षा लेना चाहते थे लेकिन कानूनी प्रावधानों के चलते कार्यक्रम में फेरबदल करना पड़ा। शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे हमें शहर पुलिस आयुक्त सतीष शर्मा ने कार्यालय पर बुलाया था। वहां पर मानवाधिकार आयोग, बाल सुरक्षा आयोग व समाज सुरक्षा अधिकारी आदि मौजूद थे। उन्होंने हमें राठौड़ दंपति की मात्र दो वर्ष दस माह की पुत्री की परवरिश का सवाल उठाया और कहा कि वे कानूनी प्रावधानों के चलते कार्यक्रम निरस्त कर दे या दोनों में से किसी एक को दीक्षा देवे। उसके बाद देर रात हमने इस संबंध में हमारे गुरुदेव चर्चा की। बाद में गुरुदेव ने सुमित-अनामिका और उनके परिजनों से चर्चा की। विचार विमर्श के बाद गुरुदेव के आदेश पर कानूनी दायरे में रह कर सुबह सिर्फ सुमित की ही दीक्षा का निर्णय लिया गया।

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