जयपुर

Jagdamba Mata: फागी के मंदिर में जाल के पेड़ की पत्तियों से किया जाता है जगदंबा माता का श्रृंगार

हजार वर्ष पुराने इस मंदिर में की गई तोड़फोड़ के अवशेष आज भी मौजूद हैं। मंदिर स्थित गणपति प्रतिमा के जैन धर्म के भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति के साथ ठीक सामने स्थित देवियों की मूर्तियों के बीच में महाकाली की प्रतिमा है

जयपुरMar 30, 2023 / 11:44 am

Navneet Sharma

फागी. मुख्यालय से 12 किमी दूर ग्राम लसाड़िया स्थित पुरातन जगदम्बा मंदिर जन-जन की आस्था का प्रतीक है। मंदिर देवस्थान विभाग की ओर से पंजीबद्ध जगदम्बा मंदिर लसाड़िया नाम से ट्रस्ट बना हुआ है। हजार वर्ष पुराने इस मंदिर में की गई तोड़फोड़ के अवशेष आज भी मौजूद हैं। मंदिर स्थित गणपति प्रतिमा के जैन धर्म के भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति के साथ ठीक सामने स्थित देवियों की मूर्तियों के बीच में महाकाली की प्रतिमा है, जिसके पास भगवान शिव लेटे हुए हैं। इसके बायीं ओर महिषासुर का वध करती मां लक्ष्मी व दाई ओर मां सरस्वती विराजित हैं। यहां पं. हनुमान प्रसाद दाधीच की चार पीढ़ी मंदिर की सेवा पूजा करती आ रही हैं।

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झोली में गिरती है माता की पाती: माता की प्रतिमा जाल के पेड़ से निकलने की लोग चर्चा करते हैं। जगदम्बा के श्रृंगार में पुष्पों के साथ जाल के पेड़ की पत्तियां शामिल की जाती हैं। भक्त मन्नत मांगकर प्रतिमाओं के सामने झोली फैलाकर बैठ जाते हैं। जहां जाल की पत्ती आकर गिर जाती हैं जिसे श्रद्धालु अपनी भाषा में पाती देना बोलते है। यहां कई लोगों को संतान की मन्नत व रोगों निवारण के लिए आते हैं। मंदिर में फागी उपखण्ड के साथ टोंक, अजमेर, जयपुर, दौसा सहित अन्य जिलों से लोग मन्नत मांगने आते हैं।

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जल रही अखण्ड जोत

मंदिर में विशेष स्थान पर स्थापित चामुण्डा माता के नवरात्र में बलिभोग व सुरा की धारा चढ़ाने की परम्परा है। मंदिर में 400 वर्ष से जल रही अखण्ड ज्योत आभा बिखेर रही है। मंदिर ज़् पहुंचने से पूर्व रास्ते में महामाया का मंदिर है। दोनों मंदिरों में जात के साथ मन्नत पूर्ण होने पर सवामणी की परम्परा है। सभी प्रतिमाएं मंदिर के अहाते में स्थित हैं।

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