अकीदतमंद ताजिये बनाने का काम साल भर करते हैं। मोहल्लों के इमामबाड़ों में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इसमें हाथ बंटाते हैं। शहर में हर साल 300 से अधिक छोटे-बड़े ताजिये निकाले जाते हैं। बड़े ताजियों में मोहल्ला पन्नीगरान, हीरनवालान, सिरकीगरान, सिलावटान, मछलीवालान, चांदपोल, एमडी रोड, सांगानेर आदि क्षेत्र शामिल हैं। चांद दिखते ही अनेक मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अकीदमंदों ने रात को ढोल ताशों से मातम किया। ये सिलसिला 10 दिन तक चलेगा।
ताजियों के जुलूस में सबसे आगे जयपुर दरबार का ऐतिहासिक सोने—चांदी का ताजिया रहेगा। यह ताजिया जुलूस के एक दिन पहले त्रिपोलिया गेट पर रखा जाएगा। जहां अकीदतमंद सेहरे पेश कर मन्नतें मांगते हैं।