जयपुर

इस तकनीक से कम पानी में ज्यादा एरिया में सिंचाई

Rain Gun For Irrigation : पानी की कमी वाले इलाकों में किसानों के लिए खेती करना काफी मुश्किलभरा होता है।

जयपुरDec 11, 2019 / 05:31 pm

Ashish

इस तकनीक से कम पानी में ज्यादा एरिया में सिंचाई

जयपुर/बूंदी
Rain Gun For Irrigation : पानी की कमी वाले इलाकों में किसानों के लिए खेती करना काफी मुश्किलभरा होता है। इस स्थिति से निपटने के लिए किसान बूंद बूंद सिंचाई के साथ ही आजकल वाटर गन का प्रयोग भी करने लगे हैं। कई स्थानों पर वाटरगन जिसे रेनगन भी कहा जाता है, इससे सिंचाई के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान भी उलपब्ध करवाया जा रहा है। रेनगन की खास बात यह है कि इससे फसलों को बारिश की तरह पानी मिलता है। वाटरगन से सिंचाई करने पर न केवल पानी कम लगता है बल्कि कम समय में खेत की सिंचाई की जा सकती है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पानी की कमी वाले इलाकों में सिंचाई के लिए वाटरगन प्रभावी तरीका है।

दरअसल, काफी किसान रेनगन फव्वारा मशीन से सिंचाई करके खेती कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत फव्वारा, रेनगन और ड्रिप इरिगेशन के लिए सिंचाई के लिए किसानों को किट के साथ ही कई जगह अनुदान भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। हालांकि यह किट थोड़ी महंगी है। इसकी कीमत कम करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है ताकि अधिकतर किसान इसका उपयोग करके फायदा उठा सकें। डार्क जोन वाले इलाकों में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बड़ा मुश्किल है। काफी किसान भूमि होते हुए भी इसलिए खेती नहीं करते हैं कि पानी की कमी है। लेकिन किसान चाहें तो सिंचाई के नवाचारों का प्रयोग करके खेती कर सकते हैं।

कई स्थानों पर सब्सिडी भी
आपको बता दें कि कई स्थानों पर दो हेक्टेयर से कम जमीन वाले एरिया में खेती करने पर किसानों को अच्छी सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है। किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर इस सबंध में जानकारी भी कर सकते हैं। राजस्थान में कई स्थानों पर किसान रेनगन की मदद से सिंचाई कर रहे हैं। बूंदी के जजावर में कुछ किसान ऐसा कर रहे हैं। सिंचाई की नई तकनीकों से किसानों को फायदा हो रहा है। दरअसल, अलग अलग क्षमता की रेनगन उपलब्ध हैं। इसके माध्यम से खेत में फसलों को ठीक उसी तरह से पानी मिलता है जैसे बारिश से मिलता है।

इस तरह होती है सिंचाई
रेनगन को एक स्टैंड के सहारे 45 से 180 डिग्री के कोण पर खेत की सिंचाई वाले भाग में खड़ा कर दिया जाता है। इसका दूसरा सिरा पंपसेट की पानी आपूर्ति करने वाली पाइप से जुड़ा होता है। रेनगन में पानी का दबाव बढ़ते ही इसके ऊपरी भाग में लगे फव्वारों से करीब सौ फीट की परिधि में चारों ओर वर्षा की बूंदों की तरह पानी निकालकर फसल की सिंचाई की जा सकती है। सिंचाई के अन्य साधनों की अपेक्षा इसके माध्यम से आधे से भी कम समय एवं पानी से खेत की सिंचाई संभव है। जानकारों का कहना है कि समय कम लगने से डीजल और बिजली की भी बचत होती है। तीन इंच के एक सबर्मसिबल पंप से तीन रेनगन एक साथ चलाई जा सकती है।
इसलिए भी है उपयोगी
जैसा नाम वैसा काम-रेनगन मतलब नाम से ही समझ में आता है की यह बरसात की तरह पानी सिंचित करने की एक तकनीक है। रेनगन को वाटर गन भी कहते है। गिअर तकनीक के आधारपर होने के कारण एक समान तेजी से पूरे, अर्धगोलाकार में किसी भी कोने में ये घूम सकती है। इसलिए यह सभी प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है। जैसे की गन्ना,कपास,चारा,मक्का,गेहू,मूंगफली,बाजरा,सोयाबीन,सब्जी,मिर्च,प्याज,आलू,चाय,कॉफी आदि फसलो के लिए रेनगन का मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी तरह लॉन,खेल के मैदानपर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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