आप किन्नरों के लिए सरकार से क्या चाहती हैं?
कन्या भ्रूण हत्या की तरह इनके लिए भी कानून बनना चाहिए। इनको घर में ही रखा जाए और वैसे ही शिक्षित किया जाए जैसे दिव्यांगों को किया जाता है। उनकी पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था की जाए।
कन्या भ्रूण हत्या की तरह इनके लिए भी कानून बनना चाहिए। इनको घर में ही रखा जाए और वैसे ही शिक्षित किया जाए जैसे दिव्यांगों को किया जाता है। उनकी पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था की जाए।
आपने इस उपन्यास में आखिर में विनोद व उसकी बा को मार क्यों दिया?
मैंने नहीं मारा। धर्म ने मारा है। राजनीति ने मारा है। समाज ने मारा है। और खुद मनुष्य ने मारा है। इन चार चीजों पर यह उपन्यास आधारित है। ऐसे बच्चों की हत्याएं हमने की हैं। इन्हें घर से बेदखल कर के। हमने किन्नर समुदाय को अंधेरों में धकेल दिया है। ऐसे बच्चे को घर में रखना अमंगल माना जो हमारी विरासत न चला सके। वो किसी धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित नहीं हो सकता।
मैंने नहीं मारा। धर्म ने मारा है। राजनीति ने मारा है। समाज ने मारा है। और खुद मनुष्य ने मारा है। इन चार चीजों पर यह उपन्यास आधारित है। ऐसे बच्चों की हत्याएं हमने की हैं। इन्हें घर से बेदखल कर के। हमने किन्नर समुदाय को अंधेरों में धकेल दिया है। ऐसे बच्चे को घर में रखना अमंगल माना जो हमारी विरासत न चला सके। वो किसी धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित नहीं हो सकता।
इस उपन्यास पर पाठकों की क्या प्रतिक्रिया रही?
2011 में सबसे पहले इसका एक अंश ‘वागर्थ’ में छपा। एक जज ने मुझो चि_ी लिखी कि यह पढ़कर मुझो लग रहा है कि मैंने इन लोगों के साथ होने वाले अन्याय के बारे में कभी नहीं सोचा। उपन्यास पर लोग मुझो चि_ियां लिखते हैं।
2011 में सबसे पहले इसका एक अंश ‘वागर्थ’ में छपा। एक जज ने मुझो चि_ी लिखी कि यह पढ़कर मुझो लग रहा है कि मैंने इन लोगों के साथ होने वाले अन्याय के बारे में कभी नहीं सोचा। उपन्यास पर लोग मुझो चि_ियां लिखते हैं।
उपन्यास में राजनीति का डरावना चेहरा दिखाया है।
उस क्रांतिकारी नरोत्तम की आवाज को दबाने के लिए उसे मार दिया गया। राजनीति चाहती है कि उसके पक्ष में बोला जाए। देखो एक किन्नर बच्चे को सरकार ने कंप्यूटर शिक्षा देकर आत्म निर्भर बनाया। हम उनके भले के लिए सोच रहे हैं। वो अपनी बीमार मां से मिलना चाहता है। उसके टिकट का प्रबंध कर दिया जाता है और बाद में उसकी हत्या हो जाती है। यह जो हत्या होती है पाठक के सामने प्रश्न चिन्ह बनकर खड़ी होती है।
उस क्रांतिकारी नरोत्तम की आवाज को दबाने के लिए उसे मार दिया गया। राजनीति चाहती है कि उसके पक्ष में बोला जाए। देखो एक किन्नर बच्चे को सरकार ने कंप्यूटर शिक्षा देकर आत्म निर्भर बनाया। हम उनके भले के लिए सोच रहे हैं। वो अपनी बीमार मां से मिलना चाहता है। उसके टिकट का प्रबंध कर दिया जाता है और बाद में उसकी हत्या हो जाती है। यह जो हत्या होती है पाठक के सामने प्रश्न चिन्ह बनकर खड़ी होती है।
उपन्यास अपना गहरा असर कैसे छोड़ता है?
यह उपन्यास हम सबसे यह सवाल पूछता है कि हम नंगे बच्चे को घर में रख सकते हैं। दिव्यांग को रख सकते हैं। पागल बच्चे को घर में रख चिकित्सा कराते हैं। फिर आखिर ट्रांसजेडर बच्चे को घर से क्यों निकालते हैं?
यह उपन्यास हम सबसे यह सवाल पूछता है कि हम नंगे बच्चे को घर में रख सकते हैं। दिव्यांग को रख सकते हैं। पागल बच्चे को घर में रख चिकित्सा कराते हैं। फिर आखिर ट्रांसजेडर बच्चे को घर से क्यों निकालते हैं?
आजकल आप क्या लिख रही हैं?
उपन्यास ‘नकटौरा’ लिख रही हूं। इसका अर्थ है नाक कटाकर नाटक करना। अवध के इलाके में बारात जाने के बाद औरतें रात भर जगा करती हैं, स्वांग भरती हैं। इसे नकटौरा कहते हैं। पुरुषों की नकल करती हैं। आज लगता है पितृ समाज नकटौरे से गुजर रहा है।
उपन्यास ‘नकटौरा’ लिख रही हूं। इसका अर्थ है नाक कटाकर नाटक करना। अवध के इलाके में बारात जाने के बाद औरतें रात भर जगा करती हैं, स्वांग भरती हैं। इसे नकटौरा कहते हैं। पुरुषों की नकल करती हैं। आज लगता है पितृ समाज नकटौरे से गुजर रहा है।